अब से तोड़ नाते सब से, खुद से नाता जोड़ ले तू..... अब भाग मत खुद से तू, खुद को ही तेरी जरूरत हैं ..... जो पाना चाहती औरों से तू, वो तेरे अंदर ही खुद हैं...... बस झाकना हैं तुझे ही खुद मे, अब खुद से खुद को ही तुझे पहचानना हैं....
क्यूँ तू एक गलती कर इतना घबराता है... यहाँ तो हर इंसान तुझ से भी ज्यादा गलती को दोहराता है.. क्यूँ समझता है तू बदनसीब खुदको... अरे! खुशनसीब है तू जो अपनी गलतियों पर पछताता है... वरना यहाँ तो लोग हजारों गलतियां कर के भी खुद को महान बतलाता है.......