Subhash Premi 'Suman'   (सुभाष प्रेमी 'सुमन')
744 Followers · 877 Following

read more
Joined 23 May 2020


read more
Joined 23 May 2020
31 DEC 2023 AT 19:51



कब आओगे श्याम
- सुभाष प्रेमी 'सुमन'

दर्शन बिन राधा को कब तक ,
तड़पाओगे श्याम ?
पंथ तकें पथराई आंखें ,
कब आओगे श्याम ?

कहां बसे निर्मोही जा कर,
राधा की मधु-प्रीत भुला कर।
रोम - रोम राधा का रोये,
रटकर तेरा नाम।। ०।।

तुम बिन व्याकुल हुईं गोपियां,
सूनी - सूनी ब्रज की गलियां।
तडपे यमुना , सूखा मधुवन,
घायल गोकुल धाम।।०।।

ढूंढ रहीं तुझ को रंभा कर,
कामधेनुएं सुध बिसरा कर।
भटक रही हैं खोज - खोज कर,
तेरा रूप ललाम।। ०।।



-


30 DEC 2023 AT 18:12

शिव स्तुति
- सुभाष प्रेमी 'सुमन'

दीन - दुःखी का शिव ही एक सहारा है ,
भक्तों का शिव - शंकर तारनहारा है ।
उसके बिन इस जग में कौन हमारा है ,
भक्तों का शिव- शंकर तारनहारा है ।

अभयंकर के भक्तों पर तो जब भी विपदा आई है,
गंगाधर ने करुणा की गंगा ही आन बहाई है।
हमें उबारा.....हमें उबारा....
हर संकट से शिव ने हमें उबारा है,
भक्तों का शिव - शंकर तारनहारा है ।।

सर्पों के पहने आभूषण , कानों में कुंडल साजे,
शिर पर की है गंगा धारण, डम डम डम डमरू बाजे।
कैसा न्यारा ... कैसा प्यारा.....
नंदी जी वाहन भी कैसा न्यारा है,
भक्तों का शिव - शंकर तारनहारा है।।

शिवशंकर कैलाश निवासी, हाल वो जाने घट-घट का,
उसकी आभा से पथ पाये , प्राणी हर भूला भटका।
शिव उजियारा.....शिव उजियारा....
इस अंधियारे जग का शिव उजियारा है,
भक्तों का शिव - शंकर तारनहारा है।



-


18 MAY 2023 AT 10:55

इक़रार की ग़ज़ल, कभी इन्कार की ग़ज़ल,
शायर, मुझे सुना दे कोई प्यार की ग़ज़ल।
मनुहार की ग़ज़ल, कोई तकरार की ग़ज़ल,
हो जाए आज प्यार के इज़हार की ग़ज़ल।
नेकी अगर करो, उसे दरिया में डाल दो,
गाया करो न तुम कभी उपकार की ग़ज़ल।
ये ज़िंदगी है, ज़िंदगी का छंद है अलग,
इसको न मानिए किसी अखबार की ग़ज़ल।
जन-गण की आस पर भी कभी गीत गाइए,
गाये ही जाइए नहीं सरकार की ग़ज़ल।
किस्से कई सुने 'सुमन' कछुए की जीत के,
कोई कहे शशांक की रफ़्तार की ग़ज़ल।

-


25 DEC 2022 AT 23:15

मैं सफ़ीना हूँ, भला कौन सहारा मेरा,
ना समंदर, न मुसाफ़िर, न किनारा मेराl
ऐ ख़ुदा, तू मेरी पतवार संभाले रखना,
नाखुदा तू है तो होता है गुज़ारा मेराl

-


1 DEC 2022 AT 18:57

पूछ न मुझसे बीता कैसे
मेरा जीवन तेरे बिन,
रो-रो गुज़री रात कुंआरी
और विधुर सा बीता दिनl

-


6 NOV 2022 AT 20:37


क़ातिल के हुनर का वो शख़्स कद्रदान था,
मक़्तूल के चेहरे पे अजब इत्मिनान था l

-


9 OCT 2022 AT 14:27

ख़ूब दिलकश लग रहा था ये जहाँ फ़ानी मुझे,
देर से आई समझ में अपनी नादानी मुझे.
काग़ज़ी थी नाव मेरी, डूबना तय था मेरा,
इस लिए रास आगई दरिया की तुग़ियानी मुझे.
तालिबे- मंज़िल हूं मैं, रुकना नहीं फितरत मेरी,
राह की मुश्किल बख़ुद लगती है आसानी मुझे.
इंद्रियों की हैं खुली ये खिडकियां इस जिस्म में,
रूह इसमें क़ैद कैसे, ख़ूब हैरानी मुझे.
मुस्कुराहट हो, शरारत हो, कि इज़हारे - वफा़,
आपकी तो हर अदा लगती है लासानी मुझे.
हिज्र की शब, आसमां पर नाचती ये बदलियां,
किस कदर तडपा गई मौसम की मनमानी मुझे.

-


16 JAN 2022 AT 8:21

इस तरह वो ले रहे मेरी वफ़ा का इम्तिहां,
मेरे हाथों भेजते पैग़ाम हैं अग़्यार को।


-


13 JAN 2022 AT 21:04

मेरे अंदाज़े - बयां का गुमान ज़िंदा है,
मेरे अल्फा़ज़े - कलम की उडान ज़िंदा है।
मेरे जज़्बात के झरने में इक रवानी है,
मेरी ज़मीं, ये मेरा आसमान ज़िंदा है।
भले कोशिश न मेरी इक्तिताम तक पहुंची,
मेरी उम्मीद का पूरा जहान ज़िंदा है।
मुझे परवाह नहीं है, हवा मुखालिफ़ हो,
मेरी कश्ती का अभी बादबान ज़िंदा है!
अगर लगता हूं महज़ एक बर्फ का टुकडा,
मेरे सीने में इक आतिशफिशान ज़िंदा है।
मैं जिस पे चढ के यहां-इस मक़ाम तक पहुंचा,
मेरे क़दमों तले वो पायदान ज़िंदा है।
मेरा दस्तार किसी के क़दम न चूमेगा,
मेरा ऐलान - मेरा ये बयान ज़िंदा है।
भले ही मुल्क से बाहर चला गया हूं मैं,
मेरी रग - रग में ये हिंदोस्तान ज़िंदा है।
नहीं कर पाए अलग ख़ुद को एक - दूजे से,
अभी कुछ तेरे - मेरे दरमियान ज़िंदा है।

-


13 JAN 2022 AT 15:30

ये मुश्किल सफ़र है अगर, है तो है,
कठिन ज़िन्दगी की डगर, है तो है।
सहर भी मिलेगी मुझे राह में,
अंधेरा अभी हमसफ़र है तो है।।

-


Fetching Subhash Premi 'Suman' Quotes