शिव स्तुति
- सुभाष प्रेमी 'सुमन'
दीन - दुःखी का शिव ही एक सहारा है ,
भक्तों का शिव - शंकर तारनहारा है ।
उसके बिन इस जग में कौन हमारा है ,
भक्तों का शिव- शंकर तारनहारा है ।
अभयंकर के भक्तों पर तो जब भी विपदा आई है,
गंगाधर ने करुणा की गंगा ही आन बहाई है।
हमें उबारा.....हमें उबारा....
हर संकट से शिव ने हमें उबारा है,
भक्तों का शिव - शंकर तारनहारा है ।।
सर्पों के पहने आभूषण , कानों में कुंडल साजे,
शिर पर की है गंगा धारण, डम डम डम डमरू बाजे।
कैसा न्यारा ... कैसा प्यारा.....
नंदी जी वाहन भी कैसा न्यारा है,
भक्तों का शिव - शंकर तारनहारा है।।
शिवशंकर कैलाश निवासी, हाल वो जाने घट-घट का,
उसकी आभा से पथ पाये , प्राणी हर भूला भटका।
शिव उजियारा.....शिव उजियारा....
इस अंधियारे जग का शिव उजियारा है,
भक्तों का शिव - शंकर तारनहारा है।
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