चिड़िया आसमां में उड़कर
घोसलों में बसर करती हैं,
इन सत्ता वालो को अहंकार क्यों है?
कोई बताये इन्हें,
नदिया पर्वतों से निकल
समुंदर में खुदखुशी करती हैं।-
दोस्तों से मिल लिया करो कभी-कभी
कि पहचाने हुए रास्तो में भी अजनबी लगते हो।-
गरीबों की रोटी भी अब छीन ली गयी हैं,
दूर कही इंसानियत ढील दी गयी हैं,
ये जो चरने आये हैं इंसानी कौम को,
लगता हैं इन्हें नफरती तालीम दी गयी है।-
धरती पर फसल उगाये थे,
अब जल में फसल उगाना है क्या?
बाढ़ आई है घर मे मेरे,
दाना एक भी बचा है क्या?
क्या खाएं,
क्या पकाएं,
हिम्मत की रोटी जो कच्ची है
उसको भी अब जला दे क्या?
समेट ले क्या उन बीजो को
जो पानी में तैर रहे हैं,
हमें सांत्वना देने वाले
आसमां में क्यों तैर रहे हैं?
नदी बहा लायी हैं
अपने साथ रेत को
और जैसे चढ़ा दी हो चादर
मेरे हँसते-खिलते खेत को।
धरती के इस हिस्से को
यही अकेला छोड़ दे क्या?
या इसको सूखे हिस्से में
ले जाकर जोड़ दे क्या?
-
सूरज व चंदा करे,आंख म चोली रे
मेरे पिया आये नहीं सखी
कहाँ खेले होली रे।
सीमा पर गए वो
बोले आउंगा जल्दी रे
ताके रहना तू चौखट पे
लगा के तू मेहंदी रे।
ख्याल रखना तू अम्मा का
ज्येठ की दुपहरी में।
थक जाए तो तू भी
नींद लेना गहरी रे।
याद आये तो मेरी
करना आंखे बंद तू।
कहना अपने दिल की
मुस्काँ के मंद-मंद तू।
ऐ सखी,
वो सपनें में रोज़ धीरे-धीरे आते हैं
मैं जग न जाऊ कही इसलिए
भारत माँ के गीत गुनगुनाते हैं
भोर होने से पहले फिर चले जाते हैं।
-
बंजर भूमि में उम्मीदें जगाने वाले के ही,
सपने क्यों टूटते हैं।
ये मिट्टी,बादल, सरकार,
इसको ही क्यों लूटते हैं।
सबको आगे लाने वाला,
हर बार पीछे क्यों रह जाता हैं।
सबका पेट भरने वाला,
आखिर भूखा क्यों सो जाता हैं।-
समझदार हैं वो लेकिन,उन्हें
समझदारी अच्छी नही लगती।
खूबसूरत है वो लेकिन उन्हें
खूबसूरती अच्छी नही लगती।
दीवाने हैं हम उनके,
दीवानी वो भी है लेकिन,
एकतरफा दीवानगी उन्हें
अच्छी नहीं लगती।
-
हवाओं में बैठकर कभी
तुम भी आया करो
ख्वाबों में सैर करके हमारे
खुशबू तुम फैलाया करो।
मानते हैं मुकद्दर में नही हो तुम हमारे
मगर psc के नोटिफिकेशन
की तरह
उम्मीदें तो जगाया करो।
हमें उम्मीद हैं कि पास कर लेंगें
तुम्हें भी,
लेकिन अपने इम्तिहान का
तुम पेपर तो बनाया करो।-
बहुत आग हैं तेरे अंदर मैं मानता हूँ,
लेकिन तेरे अहं को बुझाने के लिये बारिश की एक बूंद काफी हैं।-
छोड़ के दामन तुम्हारा हम भी कहाँ उबर पायेंगें,
रहा जो साथ तुम्हारा,तो ये वक़्त भी गुजर जाएंगे।
-