हजारें ख्वाइशें
लाखों सपने,
सौ हुनरे,
दफनाई गई
कहीं दब गई
कभी जात,
कभी धर्म,
कभी गरीबी के नाम में,
कैसी रीत है दुनिया तेरी???
बेरहम चेहरे कहीं छुप गई
कभी पैसे,
कभी हिंसा,
कभी धर्म के रखवाले से।
थोड़ा बहुत जानना है मुझे,
सारे अधिकार,
कुछ सपने,
बहुत ईमानदारी से तुझे।
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