Subhapriya Nayak  
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Joined 1 March 2024


Joined 1 March 2024
11 HOURS AGO

हां, वो औरत है,
वो सहती रही ,
सहेज करती रही,
संभालती रही,
ओर अपने हालातों को
मुस्कुराके छुपाती गई.....
बोलते गए सब
समय का दौर बदल रहा है
वो तो औरत है ना, साहब
इंतजार करती रही
खामोशी से बात करती रही
समय को बदलते देखती रही ....
एक दौर बदल गया...
और वो इंतजार करती रही!!

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12 HOURS AGO

ସ୍ଥଵିର...
ଆକାଶ ରୁ ଖସିପଡେ
ଆହତ ବନହ‌ଂସୀଟିଏ
ଖଣ୍ଡି ଉଡା ଦେଇ...
ମିଶିଯାଏ ମାଟିରେ...
ମାଟି ରୁ ଧୂଳି
ଧୂଳି ରୁ ଧୂମାଳ
ଧୂମାଳ ରୁ ଅତୀତ
ଅତୀତ ରୁ ଅତୀତେଇ
ବିଛେଇ ହେଇ ପଡ଼ିଥିଵି
ଲାଲ୍ ସଡ଼କ ଉପରେ।

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18 HOURS AGO

कविता और मेरी दोस्ती
काफी पुरानी है।
मन को भांप लेती थी वह।
शब्दों का मोहताज नहीं थी,
भावनाओं को समझ लेती थी वह।
अचानक, एक दिन
तीसरी को देख कर वो भाग गई।
सालों से चुप चाप रही,
मुझे दूर से देखती रही,
मेरे अकेलेपन को देख कर मुस्कुराती हुई,
बड़े दिनों बाद कुछ बोलने लगी,
फिर कभी कभी....
रातों को चुपके से भाग कर गले लगा कर रोती रही।



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24 APR AT 23:08

मुझे, तुम्हे पढ़ना है
बहुत गहराई से,
तुम्हारा नादान से सयाना होना
तुम्हारा नरम दिल का कठोर बन जाना
बचपन का याद से ले कर जिम्मेदार होना
अपने लिए प्यार को मेहसूस करना,
मुझे जानना है,
बहुत ही गहराई से तुम्हे।

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23 APR AT 20:45

ठुकराए तो भी हम गलत हुए
सकराते हुए भी कहां सही हुए
सही को मानकर भी गलत ठहरे।
नजर झुकाए तो भी गलत हुए,
नजर मिलाए भी तो सही नहीं हुए,
नजर उठाकर तो हम ही गलत हुए।
खामोशी को भी गलत मान बैठे ,
आवाज उठाए तो भी सही नहीं बन पाए।
हम यहां भी गलत हुए ,
जहां हर गलती भी सही है
और हर सही भी गलत हुए।
अब बताईए हम सही कब हुए?

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22 APR AT 22:43

हजारें ख्वाइशें
लाखों सपने,
सौ हुनरे,
दफनाई गई
कहीं दब गई
कभी जात,
कभी धर्म,
कभी गरीबी के नाम में,
कैसी रीत है दुनिया तेरी???
बेरहम चेहरे कहीं छुप गई
कभी पैसे,
कभी हिंसा,
कभी धर्म के रखवाले से।
थोड़ा बहुत जानना है मुझे,
सारे अधिकार,
कुछ सपने,
बहुत ईमानदारी से तुझे।





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22 APR AT 15:33

जीवन का प्रारंभ होना,
अंत में विलीन होना
एक तथा कथित प्रचलन है।
सुक्ष्म रूप में,
जीवित लोग निरंतर मौत से जूझ रहे हैं,
जीवन से रहित लोग मोक्ष्य के लिए भटक रहे हैं।

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22 APR AT 0:17

खत मिलने के बाद,
मुझे खत जरूर लिखना।
पुराने कहानियां बाकि थी,
डाक बक्से को देख कर
कितने थक गए,
कितने मर गए,
कितने चले गए।
बाहर डाकिया गुजरते थे,
पर खत नहीं आए।
सुना है, ईमेल का जमाना है,
अब खत लिखने वाले
शांत हो कर देख रहे होंगे
कहानियां अभी भी अधूरी थी।
कभी खत लिखकर बताना जरूर ,
तुम्हे खत मिलने के बाद
मुझे खत जरूर लिखना।





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21 APR AT 18:47

मृत्यु सामान्य है,
शाश्वत और चिरंतन है।
अधमरे स्वप्न में जीना
मौत से जूझना जैसा है।
कभी कभी...
खयाल का बंद होना
मृत्यु का समीप स्थित हैं।
विचारधाराओं को अंदर दफनाना
श्वास प्रवाह को रोकने जैसा है।
निरंतर खुदको खुदसे से जूझना
एक अप्रत्याशित मौत जैसा है।

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21 APR AT 2:21

सिगरेट,
एक शब्द नहीं
बल्कि एक संस्मरण है ।
जिसमे पुरुषों का स्वभाव दिखाया जाता है,
और स्त्रियों के चरित्र को हनन किया जाता है।

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