Subhansh Divyankar   (©स्वछंद_स्याही)
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अपने नजरिये को मैं शब्दों को नज़र करता हूँ।
Joined 13 February 2020


अपने नजरिये को मैं शब्दों को नज़र करता हूँ।
Joined 13 February 2020
31 DEC 2022 AT 16:51

प्राथमिकताएं

हर पुरुष अपनी प्रकृति ढूंढ़ता है।
हर गणतव्य अपनी गति ढूंढ़ता है।।
कोई नहीं है स्वयं में परिपूर्ण यहां,
हर शंकर अपनी पार्वती ढूंढ़ता है।
हर ब्रह्मा अपनी सरस्वती ढूंढ़ता है।।
सबकी है अपनी अलग प्राथमिकताएं,
कोई सन्नाटा तो कोई संगति ढूंढ़ता है।
कोई अवसर तो कोई आपत्ती ढूंढ़ता है।।
लगे पड़े हैं स्वयं के संसार में सभी,
कोई सम्बन्ध तो कोई सम्पत्ति ढूंढ़ता है।
कोई समृद्धि तो कोई शक्ति ढूंढ़ता है ।।

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13 JUL 2022 AT 1:18

Dard ke Daaliyon se
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ऐ जिंदगी
तुझसे माँगा ही क्या मैंने,
जो मिला सहर्ष स्वीकारा है बस।
तोल-मोल का इल्म नहीं,
'गर काबिल नहीं तो नकारा है बस।
"स्याही"में 'गर संवेदना नहीं,
तो सूर्य नहीं ये तपता तारा है बस।
मिलना 'गर जो संभव नहीं,
तो कोशिशों से भी अब छुटकारा है बस।

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14 MAY 2022 AT 23:34

Dard Dekhe Hai Bahot
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दर्द देखें है बहुत इन आँखों ने,
बस कर जिंदगी अब अँखियाँ मूँदने दे न।
गुमशुदा हूँ गम के गलियारों में,
बस कर जिंदगी अब खुशियाँ ढूंढ़ने दे न।

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8 MAY 2022 AT 13:25

जीवन की देवी : माँ
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सबके अस्तित्व की दूत,हर हृदय की स्पंदन है माँ
हमारी पीड़ा में नयनों से बहने वाली क्रंदन है माँ
स्नेह की साक्षात्कार आनंद की अभिनंदन है माँ
मनुष्यों की तो छोड़ो त्रिदेवों की भी वंदन है माँ
मेरे शब्द की सारथी,'स्याही' की 'स्वछंदन' है माँ
इस जीवन की देवी,अच्छाइयों की आवंटन है माँ
सबके अस्तित्व की दूत,हर हृदय की स्पंदन है माँ

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6 MAY 2022 AT 0:27

Dard ki Taalim
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कर्ज लेकर किया था इश्क़ हमने,
बदकिस्मती से कारखाना बंद हो गया।
कर दिया दिवालिया दिल ने,
जिंदगी में किसी का आना बंद हो गया।
लूट गया शहर जो आबाद था कभी,
खर्च बढ़ते गए और कमाना बंद हो गया।
गिरवी रखा था शुकुं का आशियाना अपना,
अफसोस गलती से वो आशियाना बंद हो गया।
दर-दर भटकते फिरते हैं गमगीन गलियों में,
अब मेरे ठहराव का हर ठिकाना बंद हो गया।

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5 MAY 2022 AT 0:25

GalatFahmi
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उसने सोचा कि मेरा उसके बिना भी मन लग जाएगा
पर वो नादान है न उसे क्या खबर कि
उसके बिना तो चमकते चाँद में भी ग्रहण लग जाएगा

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4 MAY 2022 AT 0:01

Taklif aur Tasalli
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तकलीफ़ों के आँगन में तसल्ली भी आएगी
तुम सब्र रखना प्रिय बहुत जल्दी ही आएगी
अंधेरों को काटने रौशनी कल्ली ही आएगी
जूझना तुम जारी रखना,जंग की तैयारी रखना
सूखे वृक्ष पे फूल के बाद फल्ली भी आएगी
तकलीफ़ों के आँगन में तसल्ली भी आएगी
तुम सब्र रखना प्रीय बहुत जल्दी ही आएगी

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2 MAY 2022 AT 6:20

Jung Zaari Hai
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जंग जा़री है शहादत हो सकती है
रंज जारी है कयामत हो सकती है
कह नहीं सकता कल रहूँ न रहूँ
सर्तक रहिएगा आदत हो सकती है
इन अदतों से आफत हो सकती है

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1 MAY 2022 AT 1:59

हर ख्वाब अधूरे रह जाएंगे
तुम मेरी रह जाना हम तेरे रह जाएंगे

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30 APR 2022 AT 0:26


तेरे नाम पे अब भी धड़कता था एक अंग मेरा,
तेरे नाम पे मेरे गलियों में चलता था प्रसंग मेरा,
तेरे नाम पे ही उफनता था दिल का तरंग मेरा,
तेरे नाम पे ही उस रोज हुआ था जंग मेरा,
तेरे नाम पे बस तेरे नाम पे

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