Dard ki Taalim
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कर्ज लेकर किया था इश्क़ हमने,
बदकिस्मती से कारखाना बंद हो गया।
कर दिया दिवालिया दिल ने,
जिंदगी में किसी का आना बंद हो गया।
लूट गया शहर जो आबाद था कभी,
खर्च बढ़ते गए और कमाना बंद हो गया।
गिरवी रखा था शुकुं का आशियाना अपना,
अफसोस गलती से वो आशियाना बंद हो गया।
दर-दर भटकते फिरते हैं गमगीन गलियों में,
अब मेरे ठहराव का हर ठिकाना बंद हो गया।
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