शायरो की महफ़िल में आख़िर हम भी शामिल हो गए, उनसे मोहब्बत करते-करते हम कुछ ऐसे काबिल हो गए, अब जब हो गए तो क्यों न 2 अल्फ़ाज़ लिख दूं उनके दरमियान, फिर मेरी रजा के आगे 2 लफ्ज भी फीके पड़ गए.
खो जाता हूं समंदर सी आंखों में, और कर लेता हूं खुद को इस साज़िश में शामिल, 🫣 सच में बयान नहीं होती तेरी ये नूर मेरी जुबानी, गुस्ताखी कर रही है तेरी वो गाल की तिल 🖤❣️❤️
न बांसुरी में वो धुन लग रही है, और न वो अद्भुत लीला कर पा रहा हूं, अब तो तुमने ही सवाल उठाया है मेरे प्यार पर राधे, आज ऐसा लग रहा है कि मैं तुम्हें खो रहा हूं
न बांसुरी में वो धुन लग रही है, और न वो अद्भुत लीला कर पा रहा हूं, अब तो तुमने ही सवाल उठाया है मेरे प्यार पर राधे, आज ऐसा लग रहा है कि मैं तुम्हें खो रहा हूं