Subhadra kumari   (सुभद्रा कुमारी 'सुभ')
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मैं तो बस मैं हूं,
न ऐसी हूं न वैसी हूं,
मैं तो बस अपने जैसी हूं।
@bihar govt teacher
Joined 19 December 2019


मैं तो बस मैं हूं,
न ऐसी हूं न वैसी हूं,
मैं तो बस अपने जैसी हूं।
@bihar govt teacher
Joined 19 December 2019
7 AUG AT 22:32

आखिरी सांस
और आखिरी हद तक,
खुद को आजमाना है।
लड़ना है खुद से और जीत जाना है।
सुना है वक्त किसी का नहीं,
मगर इस वक्त को एक दिन
अपना बनाना है।

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3 JUL AT 22:13

निष्क्रियता बन जाए आदत,
तब मिलना उत्कर्ष कठिन है।
जीवन में संघर्ष कठिन है।।

धर्म न्याय संघर्ष करे जो
उसका फिर अपकर्ष कठिन है।
जीवन में संघर्ष कठिन है।।

चहुं ओर जब स्वार्थ भरा हो,
मिलना सही विमर्श कठिन है।
जीवन में संघर्ष कठिन है।।

परवशता की बेड़ी पग में हो,
होना तब आमर्ष कठिन है।
जीवन में संघर्ष कठिन है।।

दुविधा की छाया हो मन पर,
पाना तब निष्कर्ष कठिन है।
जीवन में संघर्ष कठिन है।।

गर्वित दंभी अभिमानी से,
करना कोई परामर्श कठिन है।
जीवन में संघर्ष कठिन है।।

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3 JUL AT 21:42

अगर ये ज़िद है तो ज़िद हीं सही,
तुम्हें चाहते हैं; इसमें कुछ बुरा तो नहीं।

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2 JUL AT 8:45


सत्य की,
प्रकाश की,
स्वयं की और
परमात्मा की।
तब तक;
जब तक
इस शरीर में,
रक्त का वहन और
सांसों का आवागमन
जारी है।

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9 JUN AT 21:55

या रब! मुझपे इतना करम बनाए रखना,
अपनी निगहबानी के मुझपे साए रखना।
दुनिया की आंखों में आंखें डाल सकूं,
पर तेरे कदमों में झुकाए रखना।।

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19 APR AT 22:06

ज़ुबान आपकी चाहे जितनी पक्की हो,
गवाहियां तो;
कलम की हीं मुकम्मल मानी जाती है।

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4 APR AT 22:12

वक्त की आँधी से बेज़ार हो,
फिर सही वक्त का इंतज़ार हीं
जीवन है।

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4 APR AT 22:05

मुझे रोक लेना;
जब बोलते बोलते मैं उग्र हो जाऊं और
मेरी बातें तथ्य तर्क और मर्यादा
की सीमा पार करने लगे,
मेरे अभिभावक बनकर
मुझे रोक लेना।।

मुझे रोक लेना;
जब चलते चलते मैं दूर होने लगूं
अपने घर अपने लोगों और
अपनी मिट्टी से,
मेरे प्रियजन बनकर
मुझे रोक लेना।।

मुझे रोक लेना;
जब भी उन्नति की होड़ और चकाचौंध
मेरे आंखों की रौशनी धुंधली कर,
मुझे स्वार्थपरता और अभिमान
की ओर लेकर जाने लगे।
मेरे मित्र और पथप्रदर्शक बन
मुझे रोक लेना।

हे जगत नियंता सर्वेश्वर;
कभी मित्र कभी पिता और
कभी प्रिय बनकर
मुझे रोक लेना।
हर उस‌ कार्य और स्वेच्छाचारिता से,
जो तुम्हारी रचना और तुम्हारे अस्तित्व को
धूमिल कर सकते हैं।
मुझे रोक लेना ईश्वर।।

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17 MAR AT 21:52

लड़ोगे नहीं तो उलझाए जाओगे
सुलझे नहीं तो मिटाएं जाओगे,
क्योंकि कुदरत का कानून है
जीना है तो जूझना है हर पल।

सीखना होगा अपने अतीत से
और तत्परता चाहिए भविष्य के लिए,
क्योंकि कुदरत का कानून है
सबको एक मौका ज़रूर मिलता है।

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24 FEB AT 21:59

चलता रहे मुलाकातों का दौर मुसलसल यूं हीं,
क्योंकि ज़िन्दगी का क्या भरोसा कब थम जाए।

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