Subendu Banerjee  
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Joined 17 April 2024


Joined 17 April 2024
18 APR AT 23:36

बात उनके अपनो की हो,
तो वो नींद वाली आँखों मे भी बारीक व
महीन मेहंदी भी लगा रात गुज़ार देते है।
और हम,
अजी छोड़ो हम कौन से किसी के अपने ठहरे जो
इतना तारिक हो।

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18 APR AT 14:10

मैं तेरे क़ाबिल हूँ या,
तेरे क़ाबिल नहीं।

मेरी बातें मेरी लफ़्ज़ों में
अब तुझे एक निर्दयी राक्षस दिखता
मैं तेरे क़ाबिल नहीं।

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17 APR AT 18:48

उन्हे मेरे रोकने से दिक्कत थी,
छोड़ दिया।
उन्हे टोकने से मेरे दिक्कत थी,
छोड़ दिया।
उन्हे मेरे गुस्से से दिक्कत थी,
छोड़ दिया।
उन्हे मेरे गुस्से मे कहे तानो से दिक्कत थी (मुझे भी थी),
छोड़ दिया।
पर,
उन्हे मेरे परवाह करने से दिक्कत थी,
इसे कैसे छोडू,
कोई समझा दे ज़रा।

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17 APR AT 12:55

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