सत्यम पाण्डेय 2.0🕊️   (कलम से दिल तलक 💕)
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■दीवाना राधे का 💕
Joined 21 December 2019


■दीवाना राधे का 💕
Joined 21 December 2019

हर इक सितम मैं तेरे उठाता रहूँगा सच में,
बिन शर्त तुझपे प्यार लुटाता रहुँगा सच में.

गर्दिश में भले हो मेरे तारे बिसात के, मग़र
तेरे लिए हर बुलंदियां लाता रहुँगा सच में.

चेहरे पे तेरे इक़ हँसी के वास्ते अय बहिन,
दिल को एक चुटकुला बनाता रहुँगा सच में.

बेशक तुमको एक रोज बूढ़ी अम्मा होना है,
ताउम्र तुमको गुड़िया बुलाता रहुँगा सच में.

नाजुक हो बहुत जानता हूँ, वक़्त वक़्त पर,
मुक्के तुम्हारी ओर चलाता रहुँगा सच में.

कोशिश तमाम करलो भुलाने की तुम, मग़र
मैं बन ख्याल ज़हन में आता रहुँगा सच में

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हौले हौले दिल की सरगम से संगीत बनाऊँ क्या
चाँद के घर से चुरा चाँदनी, तेरे पैर सजाऊँ क्या

चंदन मखमल फूल तेरी राहों में बनकर के मैं,
तुझको राहत देने खातिर फर्श सा बिछ जाऊँ क्या.

कचरा हो तुम, घर से बाहर करने की खातिर,
तुम कहदो तो गाड़ी वाला, घर भिजवाऊँ क्या. 😂

एक 'मिसरे' में कह दूं अगर के क्या तुम मेरी हो,
बहिना तुम मेरी दुनिया हो ज्यादा औऱ बताऊँ क्या.

आँखों के साये में पनपे जो भी बुरे ख्याल तेरी,
एक एक करके आहिस्ता आहिस्ता उन्हें चुराऊँ क्या.

ख्वाहिश में तेरी हर हसरत पूरी करने को सत्यम,
खुशी खुशी अय 'श्रेया' बजारों में बिक जाऊँ क्या.

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पढ़ने को ग़ज़ल, शायरी, ज़ज़्बात मिलेंगे..!
यारों मेरी उस दूसरी आईडी पे झांकिये...
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊

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मैंने पूछा चाँद से के देखा है कहीं, मेरे यार सा हसीं
चाँद ने कहा, चाँदनी की कसम, नहीं, नहीं, नहीं

मैंने ये हिजाब तेरा ढूँढा, हर जगह शवाब तेरा ढूँढा
कलियों से मिसाल तेरी पूछी, फूलों में जवाब तेरा ढूँढा
मैंने पूछा बाग से फ़लक हो या ज़मीं, ऐसा फूल है कहीं
बाग ने कहा, हर कली की कसम, नहीं, नहीं, नहीं
मैंने पूछा चाँद से...

चाल है के मौज की रवानी, ज़ुल्फ़ है के रात की कहानी
होठ हैं के आईने कंवल के, आँख है के मयकदों की रानी
मैंने पूछा जाम से, फलक हो या ज़मीं, ऐसी मय भी है कहीं
जाम ने कहा, मयकशी की कसम, नहीं, नहीं, नहीं
मैंने पूछा चाँद से...

खूबसुरती जो तूने पाई, लूट गयी खुदा की बस खुदाई
मीर की ग़ज़ल कहूँ तुझे मैं, या कहूँ ख़याम ही रुबाई
मैं जो पूछूँ शायरों से ऐसा दिलनशी कोई शेर है कहीं
शायर कहे, शायरी की कसम, नहीं, नहीं, नहीं
मैंने पूछा चाँद से...

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सांता बाबा मुझको फिर से उपहार चाहिए,
खिलौने नही, दिल से खेलने वाला यार चाहिए..

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बहुत से दर्द मिले, मिलते रहें, रहने दो..!
प्यार से ज़ीस्त निखरती है मुझे कहने दो..!!

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अगरचे...! लहज़े में शामिल थी वतन की इज़्ज़त,
ज़रा सी बात पर यूँ तार तार न करते..

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हम सब उस एक सिनेमा की तरहा हैं दोस्तों,

इंटरवल में भी फ़िल्म बदल जाती हो जिसमें..

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अय हवा बांध के जुल्फों को गुज़रना दिल से,

मैंने एक दीप मुहब्बत का जला रक्खा है...😊

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इस जिगर के पार इक दो तीर होने चाहिए,
शर्त है कि....! घांव भी गम्भीर होने चाहिए.

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