अनजान सी सडको मे,मै अकेला था
चांदनी सी रातो मे सुनहरा सा बिखरा सितारा था
माशूम सी दिल मे हवा कि मस्तानी लहर उठी
जब देखा उसे तो सारी सुनहरे पल इस दिल मे केद हो गई
मोह -माया के जाल मे फसना कभी चाहा ही नहीं था मे
पर उस सुनहरे पल को कभी भूल पाया ही नहीं था मे
उन्हें देखते ही देखता रह गया
सारे सपने सारे ख्वाब पल मे पूरा हो गए
ख्वाबो के सुनहरे बादल दिल मे ऐसी जान डाली
जब उसकी मुश्कुराहट ने हमे पैगाम दे डाली
अजनबीयो जैसे थै हम पर इस माशूम सी दिल मे
मोहोब्बत कि इक अरमान दे डाली
पल ही पल मे ना जाने वो कहाँ खो गया
इंतजार करता रहा फिर भी व वापस न आया
माशूम सी दिल मे उठी इस लहर को आज भी मे शांत न
कर पाया इक पल कि मोहोब्बत थी मेरी
आज भी उसकी जगह कोई ओर न ले पाया
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