सत्यबृज सुमित लंकेशी   (शब्दों का सुमित)
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Joined 29 June 2018


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ये एप्लिकेशन (your quote) भी पैसे से चलने लगी है अब तो,
मतलब कमजोर और गरीब तो अब दुख भी जाहिर नहीं कर पाएगा........


🕞०३:३९ (अंतिम बात)

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ना प्यार का जिक्र चलता और ना ही उसकी बात,
ना काली अंधेरी रात आती और ना ही उसकी याद....




१२:५९ (बीते_लम्हे)



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When both the pain and the
bitter speech are tolerable,
then understand that life has
come to live....




🕑०२:१६


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Money is heavy on you and
luck is heavy on me, life is
heavy on everyone and we
are all heavy on God!

🕑०१:४९

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लोग डूबते होंगे जिस्म और शराब के नशे में चाहे इनमें दम भी ना हो,
मुझे तो तलाश है ऐसे नशे की जिसका शुरुर वक़्त के साथ कम ना हो....

🕜०१:२८

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एक अजीब सी चुभन होती है अब तो तुम्हें देखकर,
वो समय चला गया जब मै तेरे दीदार को तरसता था....



🕠०५:३१



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कोई खास वजह नहीं थी अलग होने की हमारी और ना ही था कोई बहाना
बस उसे हमेशा आईना देखना पसंद था और मुझे लोगों को आईना दिखाना....


🕒०३:१८(सत्य_कटु_है)

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खो देते हैं..... फिर खोजा भी करते हैं,
बस यही खेल लोग उम्र भर खेला करते हैं!


🕔०५:४३ (तलाश)




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जाना है तो चले जाओ,
जाना थोड़ा सख्त होकर,
कि फिर लौट ना पाओ.....


🕥१०:५९(तुम्हे_तो_जाना_ही_है)


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गरीब और भिखारी सुन सुनकर
हम खुद को कितना जलील करवाएंगे,
जिस दिन हम दिल बेचने पर आए
ना उस दिन तेरे ये बाजार कम पड़ जाएंगे!



🕥१०:३५(दिल_का_मोल_किसी_ने_ना_पाया)



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