या थी वो उसकी मासूम आंखों की अठखेलियाँ
कि ये बरसों पहले पाषाण हो चुका दिल मेरा
उसकी एक झलक पाते ही मोम सा पिघल गया!-
पूछा था उसने जाते जाते
पर उस वक़्त तो मानो पत्थर हो गया था मैं
और ये दिल मेरा
काश! उस दिन उसे रोक कर कह देता
कि वो जो ना हो
तो चांदनी रात को भी रहता है अमावस का अंधेरा
सुबह भी आकाश में सूरज नहीं निकलता
घर में कोई सामान सही जगह पर नहीं मिलता
टाई पहनने से दम घुटता है मेरा
हाथ घड़ी भी भूल जाता हूं पहनना
ज़रूरत पड़ने पर जो टटोलू जेब कभी
तो उसमे से रुमाल नहीं निकलता
आईने में जो देखूं ख़ुद को
तो उस पार मुझे दिखता है कोई और मुझसे अलग सा!
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बस एक जगह बैठ कर
तुमको देखते रहना है मुझको
और जो भर जाए अक्स
तुम्हारा इन आंखों में मेरी
फिर बंद आंखें लिए उम्रभर
सुकून से सोना है मुझको
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बस साथ मेरा हमसफर न था
मंज़िल पर जो पहुंचा सब कुछ था वहां
बस जो पाँव के छालों में लगा लूँ
वो मरहम न था!-
वो महज़ आंखें नहीं हैं उसकी
दो बहुत गहरी और बहुत खूबसूरत
ग़ज़लें हैं गुलज़ार की!-
जो कहना था
वो भी कह ना सका
घड़ी का शोर
कानों में पड़ा और
ख़्वाब अधूरा छूट गया
पर याद है मुझे
तू कहती थी
सुबह के सपने सच होते हैं
तो फिर आज जब मिलेंगे हम
भर लूंगा तुझे अपनी आँखों में
सदा के लिए
कह दूंगा तुझसे हर वो बात
जो बची है कहने के लिए!
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जैसे एक किसी पुस्तकालय में
लाखों किताबों के बीच
कहीँ किसी एक कोने में
धूल खाती रह जाती हैं
कुछ सबसे अच्छी किताबें
एक कदरदान के इंतज़ार में
ठीक वैसी ही हैं
लाखों आंखों की भीड़ में
उसकी वो दो गहरी काली आंखें
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और इसके हर पन्ने पर तुम्हारा नाम है
इसकी जिल्द से आता
तुम्हारी ही खुशबू का एहसास है
और इसके अंत में सच होता हुआ
हमारे मिलन का ख्वाब है!-
बनती होगी उन्हीं सूखे हुए भूले बिसरे गुलाबों से
जिन्हें प्रेमी प्रेमिकाएं पन्नों के बीच रखा
छोड़ गए पुस्तकालयों में!-
talk to the stars
I wish to hear them twinkling
and tell them all those stories I have weaved in my head so far.-