सच बोलते रहे , दिल से निभाते रहे , दिल से देते रहे , सबका दर्द लेते रहे , सबको खुशियाँ बांटते रहे
अपने से ज्यादा दूसरों की खुशी का ध्यान रखते रहे
जब जब जिसने आवाज़ लगाई तब तब हाज़िर होते रहे
पर फिर भी जीवन की दौड़ में एकेले रह गए हम
यूं कहे कि बहुत पीछे रह गए हम
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