कुछ फूल से चेहरे बागों में खिला करते थे
कुछ फूल अक्सर किताबों में मिला करते थे
हमसे उन रातों का ज़िक्र क्यों किया करते हो
जिनमें ख़त उनके चिरागों में जला करते थे-
सतीश दुबे (S K Dubey)
(बैंज़िल (BenZil))
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तुम्हें बतायेंगे किसी दिन मेरे दिल-ए-हालात
अभी तो इम्तिहान में ज़िंदगी गुजर रही है।
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अभी तो इम्तिहान में ज़िंदगी गुजर रही है।
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Joined 11 June 2020
25 APR 2023 AT 14:46
12 APR 2023 AT 0:09
यादों में कुछ उसका रक्स है ऐसे
यादें न हों, उसका अक्स हों जैसे-
10 APR 2023 AT 23:29
शिकायतें भी एक दिन फ़रियाद बनती हैं,
बदलते मौसमों ने इतना तो सिखाया ही है!-
21 FEB 2023 AT 8:55
तन्हाई में रहें या किसी महफ़िल में हम
याद थे, याद हो और याद रहोगे तुम-
9 JAN 2023 AT 0:07
इससे पहले तुम्हे वक्त बदल दे,
तुम्हे वक्त को ही बदलना होगा।-
9 JAN 2023 AT 0:00
गम सारे घर लौट जाएँ
कोई दूर से सदा दे फिर
हम सारे घर लौट जाएँ
-
8 JAN 2023 AT 23:20
दाग़ लगा दोगे वो महताब नही हूं मैं!
ख़्वाब जला दूंगा वो आफताब हूं मैं।-
6 JAN 2023 AT 23:33
मानव सभ्यता की सर्वश्रेष्ठ ख़ोज,
आग पर नियंत्रण थी।
उसने बाहर की आग को तो
काबू कर लिया लेकिन,
उसके अंदर की आग,
उसे आज भी जला रही है।-
2 JAN 2023 AT 21:08
रोज़ ज़िंदगी का ज़हर पीते हैं,
भक्त तो महादेव के हम भी हैं।-
31 DEC 2022 AT 23:18
मुबारक हो आप लोगों को साल नया ,
मुझे पुराने से अभी हिसाब करना है।-