अक्सर पूछा जाता है हमसे,
तुम्हें किस बात का गुरूर है?
और हम हँसकर बतलाते हैं,
कि जब किसी ने सब खोकर पाने,
और पाकर खोने को सह लिया हो,
अपनी हिम्मत हारकर और शिद्दत जीतकर,
जीने का सलीका सीख लिया हो।
सूरत का हिज्र उतारकर,
सीरत का हिजाब पहन लिया हो,
तब ही आप फर्क कर पाएँगे कि
किसने गुरूर की चुनरी ओढ़ी है,
और किसने गौरव का दामन थामा है।-
इन शब्दों की दुनिया में खो जाते है!
एक फूल की कली खुशबू फैलती है,
खूबसूरती बड़ा देती है,
और फिर अपने आप मुरझाकर,
अपना वजूद गवां देती है।
क्या कभी सोचा किसी ने!
कि एक फूल की कली
महज़ कितना सह जाती है।-
तेरी बेकरारी से,
तेरी उल्फ़त से,
तेरी जुदाई से।
कोई शिकायत नहीं
तेरे चयन से,
तेरे करार से,
तेरे जज़्बात से।
कोई शिकायत तो है,
पर सिर्फ ख़ुद से...-
Nazam jo likhe, hum iss sheher mein,
Nazam jo likhe, hum iss sheher mein,
Nazeer yun ho gye, hum iss peher mein.-
कितना इंतज़ार, कितना एतबार!
दिल के जज़्बात, और हम तार तार!
जवाब तो कोई आया ही नहीं,
जवाब तो कोई आया ही नहीं,
और हम रह गए भ्रम-ओ-सार!
क्या तुम्हारे दिल में भी था, कुछ बेबस इज़हार!
क्या तुम्हारे दिल में भी था, कुछ बेबस इज़हार!
बेबसी में डूबे हम तो है ही,
बेबसी में डूबे हम तो है ही,
पर क्या तुम भी कश्मोकश में विलुप्त मेरे यार!-
सोच के क्या आए थे,
क्या ही लेकर आ गए,
जवाब में तकरार दे देते,
इन्कार लेकर आ गए,
तिनको से बनाने चले थे जो घोसला,
टुकड़े हज़ार लेकर आ गए,
दिखा नहीं सकते,
जता भी नही सकते,
गलतफहमी ही पाले रखते,
तो अच्छा होता,
हम सब सही करने में,
खुद गलत होकर आ गए,
क्या दिल जोड़ते अब उनसे,
टुकड़े हज़ार लेकर आ गए!-
आशियाने में शायराना अंदाज़ ले कर आए है,
हम तुम्हारी महफ़िल में शब्दाज़ ले कर आए है,
आए है तो ले कर जाएंगे भी कुछ,
आए है तो ले कर जाएंगे भी कुछ,
तेरा साथ न भी सही,
पर तेरा प्यार ले कर जाएं है,
हम तुम्हारी महफ़िल में शब्दाज़ ले कर आए है,
हम तेरे होठों पे अपने जज़्बात ले कर जाएं है,
तू न भी हो, तेरा एहसास ले कर जाएं है,
आशियाने में शायराना अंदाज़ ले कर आए है,
हम तुम्हारी महफ़िल में शब्दाज़ ले कर आए है।-
टूटे आशियाने से,
मैखाने में चले गए,
हम वो है सनम,
जो बहकाने में चले गए।
यादों का सहारा तो लेती है जिंदगी,
हर एक पल जी गए,
और,
दूसरे ही पल मर गए।
टूटे आशियाने से,
मैखाने में चले गए,
हम वो है सनम,
जो बहकाने में चले गए।-
चांद सूरज की बातें तो सब किया करते है,
दिल जोड़ने की बात भी सब किया करते है,
पर वो कहां है?
वो कहां है?
जो दिल तोड़ते है!
अंधेरे में गुफ्तगू किया करते है,
उजाले में आते तो है,
उजाले में आते तो है,
पर!
कायनात की काली परछाई जानते है,
हर शख्स की रात पहचानते है!-
ढोंगी सी दुनिया में
मैं ख़्वाब बुन रही हूं,
मैं खुद ही खुद से
प्यार कर रही हूं।
जज़्बातों के मेले में
सच्चा इज़हार कर रही हूं,
मैं खुद ही खुद से
प्यार कर रही हूं।
रातों को सोई नहीं
दिन का इंतजार कर रही हूं,
मैं खुद ही खुद से
प्यार कर रही हूं।
जन्म से मरण का सफ़र
इनकार कर रही हूं,
मैं खुद ही खुद से
प्यार कर रही हूं।-