Wasn't with you all this while,
just like that, my Friend...
So it ends and it ends,
and here is a cheer, to the End...-
तेरी कमी ने इतना बेकरार किया है, कैसे कहूं है
अधूरा सा सब, इसे पुरा, कैसे करु
भटक के देख लिया ज़माने में बहुत
दर्द का समुंदर है, वीरानी दिल की धड़कन है
सुकुन मिलता ही नहीं, बता जुदा कैसे रहूँ
यादें इतनी हैं की, तू दिल से दूर जाती ही नहीं
मेरी रूह तेरी रूह से, अलग हो पाती ही नहीं
जैसा मैं हूं क्या तू भी वैसी ही कुछ होगी?
मेरी दुआ भी ऐसी है, क्या बताऊं
कम्बख्त, तुझे मेरे पास लाती ही नहीं-
Teri kami ne itna bekarar kiya hai, kaise kahun
Hai adhura sa sab, isko pura kaise karun
Bhatak ke dekh liya zamane mein bahut
Dard ka samundar hai, veerani dil ki dhadkan hai
Sukun mila hi nahin, bata juda kaise rahun
Yaadein itni hain ki, tu dil se door jati hi nahi
Meri rooh teri rooh se, alag ho pati hi nahi
Jaisa main hoon kya tu bhi waisi hi kuch hogi
Meri dua bhi aisi hai kya bataun
Kambakht, tujhe mere paas lati hi nahin-
Bahut khoya, bahut paya,
Mili chahat aur bahut chaha...
Sahi galat ya galat sahi, samajh aaya,
Khud ko aur tujhe bhi samjhaya...
Kabhi kareeb aayi, tow dil se apnaya,
Mohabbat ko badi shiddat se nibhaya...
Aaj jo jaane ki baat ki tow, hukum samjha,
Saza mani, galat mana aur khud ko bahlaya...
Tu sahi, main galat ke iss khel main,
Tujhe khoya, tow kya paya, tow kya paya...
-
आ तुझे थोड़ा और प्यार कर लूँ,
थोड़ा तुझे अपने आगोश में भर लूँ,
तू खुद को मेरी बाहों में बिखरने दे।
अपनी सांसों को मेरी सांसों में पिघलने दे
बेचैन रहती है मेरी रूह, कि थोड़ा सा तो आराम दे,
भटक रहा हूँ मैं सदियों से, मुझको मेरा नाम दे,
तू नशा है, इक कशिश, जुनून है, मेरा पागलपन है,
आरज़ू है, उम्मीद है, इबादत है, दीवानापन है,
तू मेरी तलाश को आज विराम दे
तू मेरे इश्क़ की इब्तिदा है अब तू ही इसे अंज़ाम दे।-
छोटा सा अपना घर (part- 2)
फिर तुम्हारे पास आकर तुम्हें फिर से गले लगा लूँगा,
और तुम्हारी ज़ुल्फ़ों से खेलूँगा।
तुम्हारे दिल को अपने दिल से लगा के तुम्हारे लबों को चूम लूँगा।
और तुम्हारे पीछे लगे cupboard से चीनी का डब्बा निकालूँगा।
चीनी डालते हुए अपना एक हाथ तुम्हारे तरफ बढ़ाऊँगा,
और तुम coffee का डब्बा मेरे हाथों में रख दोगी।
Coffee हमारे पसंदीदा काले cup मे डाल कर,
तुम्हारे हाथों में रख दूँगा।
और तुम्हें slab से उठा के अपनी बाँहों में भर लूँगा।
तुम्हें ड्राइंग रूम में लेके जहाँ sofa तुम्हारी पसंद का होगा,
और दीवारों पे रंग मेरे पसंद के होंगें।
तुमको तुम्हारे L- shaped सोफे पे रखते हुए,
तुम्हारे बगल में बैठ कर दीवारों पे लगे blue color की,
खुद ही तारीफ़ करूँगा।
तुम्हे coffee पीते हुए पूछुंगा की कैसी बनी है,
और तुम मुस्कुराते हुए बोलोगी, "perfect".
ऐसा अपना एक छोटा सा घर होगा,
जहाँ main door पे तुम्हारा नाम लिखा होगा।
और तुम्हारे दिल पे मेरा नाम लिखा होगा।-
छोटा सा अपना घर (part- 1)
कहीं एक बड़े से शहर में,
अपना एक छोटा सा घर होगा।
जिसमे परदे तुम्हारी पसंद के,
और TV मेरी पसंद की होगी।
हर सुबह जब तुम उन ऑरेंज पर्दों को हटाओगी,
और मुझे जगाओगी,
तब मैं तुम्हें अपनी ओर खींच लूँगा।
तुम्हें अपने सीने से लगा के,
तुम्हारे बदन को अपने बाँहों में कैद कर लूँगा।
तुम बोलोगी जब कि, "देर हो रही है, नहा लो,
तो तुम्हारे गर्दन पे एक प्यारी सी kiss दूँगा।
और कहूँगा कि coffee पीओगी?
तुम मेरे तरफ प्यार से देख कर बोलोगी,
हाँ, जाओ बना के ले आओ।
तब में तुम्हें अपनी बाँहों में भर के kitchen में ले जाऊँगा।
slab पे तुमको बिठा कर,
तुम्हारे tripple door के fridge से दूध निकालूँगा।
उसको pan में डाल के गरम करूँगा।-
उसने जब हमसे मोहब्बत का सबूत माँगा...
हमने ख़ामोशी की चादर उतार दी।
वो फिर भी ख़ामोश ना रह पाया...
हमने फिर भी उसे बेइन्तहा प्यार दी।
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कई तूफ़ान, कई रूकावटें आयी मगर..
बेबसी का ये आलम, कभी ना था...
कई बार हाँथ छूटे, बिछड़े हम मगर..
उदासी का ये आलम कभी ना था...
आँखें रोती हैं, दिल उदास है,
बेकरारी ऐसी छाई है..
कभी मुस्कुराता है, कभी बौखलाता है,
दीवानगी ऐसी छाई है...
मनाने और रूठने के सिलसिले ऐसे थे..
अलग हो जाएंगे क्या फासले इतने थे?
दिल तेरा ही अब ये गवाही देगा..
तू साथ थी तो संग मेरे क़ाफ़िले थे...
अब बिछड़ना ही है तो ये ग़म भी सही..
तू सामने नहीं तो अब यादों में ही सही...
मोहब्बत की थी तुझसे कुछ इस कदर..
तन्हाइयां, दर्द, तुझसे बेइंतहा नफ़रत ही सही...-
तेरी आग़ोश में ही आराम मिलता है,
तेरी बातों से ही विराम मिलता है...
तेरे खुशबू में ही दिल का चैन है,
और तेरी सीने के पास ही सारा जहाँ मिलता है...-