STAR SEED   (miel)
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चलो, आओ!
इन शब्दों की दुनिया में खो जाते है!
Joined 22 January 2017


चलो, आओ!
इन शब्दों की दुनिया में खो जाते है!
Joined 22 January 2017
7 SEP AT 20:39

वो हँसती भी, वो गाती भी,
फूलों की तरह खुशबू महकाती भी।

मंद मंद मुस्कुराती भी,
चुप्पी से एक कहानी सुनाती भी।

ग़म के साये में अकेली डूबती भी,
हर आंसू को ज़िंदगी समझाती भी।

दिल जीतने की कला सिखती भी,
हर पल में जगमग रोशनी जगाती भी।

नाज़ुक सी, ख़ूबसूरत सी भी,
कभी झल्ली, कभी अधूरी सी भी।

एक कहानी है, एक छुपा राज भी,
जो हर दिल को अपनी तरफ पुकारती भी।

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29 AUG AT 17:38

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29 AUG AT 17:23

रात की रानी

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27 AUG AT 6:02

Jab kismat mein kohinoor ho aapke,
Toh kuch kaanto ko raste me jhelna hoga hi...

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3 AUG AT 20:40

🖤 अब हिम्मत कहां रही... 🖤

दिल के टुकड़े करा लिए,
अब किसी से मोहब्बत की हिम्मत कहां रही।

किसी और के लिए खुद को भुला बैठे,
अब अपनी हिस्सेदारी की हिम्मत कहां रही।

जो कुछ भी सहकर आगे बढ़े,
अब फिर से सब कहने की हिम्मत कहां रही।

मुक़द्दर तक तो पहुँचे नहीं,
ख़ुद को सिकंदर कहने की हिम्मत कहां रही।

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5 JAN AT 2:01

अक्सर पूछा जाता है हमसे,
तुम्हें किस बात का गुरूर है?

और हम हँसकर बतलाते हैं,

कि जब किसी ने सब खोकर पाने,
और पाकर खोने को सह लिया हो,

अपनी हिम्मत हारकर और शिद्दत जीतकर,
जीने का सलीका सीख लिया हो।

सूरत का हिज्र उतारकर,
सीरत का हिजाब पहन लिया हो,

तब ही आप फर्क कर पाएँगे कि
किसने गुरूर की चुनरी ओढ़ी है,
और किसने गौरव का दामन थामा है।

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3 JAN AT 21:48

एक फूल की कली खुशबू फैलती है,
खूबसूरती बड़ा देती है,
और फिर अपने आप मुरझाकर,
अपना वजूद गवां देती है।

क्या कभी सोचा किसी ने!
कि एक फूल की कली
महज़ कितना सह जाती है।

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31 DEC 2024 AT 22:37

तेरी बेकरारी से,
तेरी उल्फ़त से,
तेरी जुदाई से।

कोई शिकायत नहीं
तेरे चयन से,
तेरे करार से,
तेरे जज़्बात से।

कोई शिकायत तो है,
पर सिर्फ ख़ुद से...

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18 DEC 2024 AT 22:16

Nazam jo likhe, hum iss sheher mein,
Nazam jo likhe, hum iss sheher mein,
Nazeer yun ho gye, hum iss peher mein.

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30 SEP 2024 AT 0:12

कितना इंतज़ार, कितना एतबार!
दिल के जज़्बात, और हम तार तार!

जवाब तो कोई आया ही नहीं,
जवाब तो कोई आया ही नहीं,
और हम रह गए भ्रम-ओ-सार!

क्या तुम्हारे दिल में भी था, कुछ बेबस इज़हार!
क्या तुम्हारे दिल में भी था, कुछ बेबस इज़हार!

बेबसी में डूबे हम तो है ही,
बेबसी में डूबे हम तो है ही,
पर क्या तुम भी कश्मोकश में विलुप्त मेरे यार!

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