सर्व प्रिय शिवहरे   (सर्व प्रिय)
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बोलना नही आता इसलिए बस लिखे ✍ जा . . . .
बस दो पंक्तियों में मन की बात . . . .
Joined 10 February 2019


बोलना नही आता इसलिए बस लिखे ✍ जा . . . .
बस दो पंक्तियों में मन की बात . . . .
Joined 10 February 2019

अभी वास्तविकता का कल्पनाओं से भाग हुवा नहीं
अभी बहुत कुछ शेष है

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कुछ तो छूट ही जायेगा
वैसे भी साथ क्या जाएगा

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परिंदे जिस डाल में बैठा करते थे
उससे बने पन्ने में मैं उदासी लिख रहा हूँ

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दीवाली ,ईद साथ मनाओ
पोलिटिक्स के चक्कर में मत आओ

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जब कुछ न हो लिखने को
तो पढ़ लो
आसमान में दूर तारे का अकेलापन
खूंटे पर बँधे जानवर की खामोशी
डाल कटने पर पेड़ों की पीड़ा
मछलियों की आंख का आंसू
और थोड़ा -
कृष्ण . . . . . !

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शब्दों के शहर में विरानिया ढेर सारी है
पर ख़ामोश रहने की भी जिम्मेदारी है . . .

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ख्वाब की एक शर्त थी
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पूरा मत करना

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जब नाव नदी में चलती है
तो नाव नदी हो जाती है
सबको मंजिल में पंहुचाकर
खुद साहिल पे रह जाती है

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Approaching but doesn't exist . . . .

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~कल तुझमें~

कल तुझमें मैं था
अब मुझमें यादें हैं
दो पल उन बातों की
जिंदा कुछ मीठी बातें है
जो बात अधूरी छोड़ी थी
वो बात अभी भी बाते हैं
कल तुझमें मैं था
अब मुझमें यादें हैं . . . .
पेन की स्याही भी खत्म हुई
लिखने को अब भी यादें है
इक चंदा छत में डूब गया
इक चंदा दिल में साधें है
कल तुझमें मैं था
अब मुझमें यादें है . . . .

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