In the era of buds i still stuck in earphones
In the era of cappuccino i just seek for tea
In the generation of philanderer i want to be monogamous
In the world of modernity i remain to choose primitive-
तेरे प्यार में कुछ इस तरह महंगा हो जाऊ
तू तेरा एक बूंद मुझे दे और में तेरा हो जाऊ ।।-
ଖୋଜି ଖୋଜି ମୁଁ କେତେ ଯେ ଖୋଜିଲି
ତୋ ପରି ଝିଅ କଉଁଠି ନ ପାଇଲି,
ଦେଖି ଦେଖି ମୁଁ କେତେ ଯେ ଦେଖିଲି
ଆଖି ର ଛଳନା ଦେଖି ନ ପାରିଲି,
ପଢ଼ି ପଢ଼ି ମୁଁ କେତେ ଯେ ପଢ଼ିଛି
ହୃଦୟ କୁ ତୋର ପଢ଼ି ନ ପାରିଛି ,
ମାଗୁ ମାଗୁ ମୁଁ ଖାଲି ଏତକି ମାଗିବି
ତୋ ପରି ଝିଅ ମୁଁ ଆଉ କେବେ ନ ପାଇବି।
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मिले इस तरह की पहले कभी मिले थे
बिछड़े इस तरह की पहले कभी मिले नहीं थे-
Tea without sugar
Party without beer
Sweets without pista
And biriyani without raita.-
तुम हाथ छोड़ कर जाओगी, तुम्हारा गुरुर है
हम हाथ भी ना पकड़े ये कैसी बात है
तुम मुझेसे रूठोगी, ये तुम्हारी अदा है
हम पास बैठ के ना मनाएं ये कैसी बात है।।-
आओ सुनाते है एक मखनचोर की गाथा,
उसकी प्रेम, दोस्ती की बड़े बड़े अनसुनी कथा ।
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्म लिया इस बालक,
कन्हिया, गोपाल, केशव नाम से जाना गया हमारा पालक ।
उसकी बाल्य काल लीला तो है अंपरपार,
माखन चोरी हो या रासलीला सब है उसका व्यापार ।
मदनमोहन की सुंदरता को आखिर कोन ना निहारे,
क्या गोपी क्या गोपाल सबकी चाहत बस ये हो जाए हमारे ।
बालगोपाल की जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं,
आपको और आपकी परिवार को सुख,समृद्धि और खुशी दे ये है मेरी मनोकामनाएं ।।
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में लेखक तो नहीं,
मगर आज कुछ लिखता हूं
कुछ बाते तुम्हे समझ नही आएगी और कुछ मुझे
पर जो भी लिखूंगा तुम समझ लेना,
क्यू की में लफ्ज़ नही जज्बात लिखता हूं ।।
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