सृष्टि jha   (Srishti jha ❤️)
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Joined 17 June 2020


Joined 17 June 2020
28 OCT 2020 AT 15:32

कभी कभी लोग पुछते हैं
ये खोई खोई सी कहां रहतीं हो अाजकल?
मै ज़रा मुसकुराते हुए कहती हूं..
बस इस दुनिया की भीड़ में,
खुद का आस्तित्व तलाशती रहतीं हूं आजकल।

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31 JUL 2020 AT 7:50

इक धोखे का
डर ही तो है,
जिसने मुझे
प्रेम करने से हैं
अब तक रोका।

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31 JUL 2020 AT 7:47

दुनिया के सबसे खूसूरत लम्हे
से भी है खास.....

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31 JUL 2020 AT 7:39

बहुत ही महफूज़ से समेट कर रखा है,
दिल के सबसे खूबसूरत हिस्से में

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28 JUL 2020 AT 12:56

उन्होंने दिया नहीं हमे कुछ
सिवाय इंतजार के.....
हमने उनसे चाहा नहीं कुछ
सिवाय प्यार के......

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23 JUL 2020 AT 15:37

पहले तो रूठना-मनाना भी था महज एक खेल।
लेकिन अब तो हजारों माफी मांगने के बाद भी,
दुबारा नहीं हो पाता हैं कुछ दोस्तो से हमारा मेल।

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23 JUL 2020 AT 12:18

बस बैठे हैं, इसी इंतजार में,
की तुम आओगे!

रूठे है हम आपसे,
कब आओगे और मुझे मनाओगे!

सारी गलतफमियों को दूर कर,
अपने साथ ले जाओगे!

बस बैठें हैं, इसी इंतजार में
कि तुम आओगे!

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23 JUL 2020 AT 12:05

अब ना रोको तुम मुझे ज़रा भी,
अब तुम मुझे जाने भी दो।
बहुत हुआ ये रूठने-मनाने का खेल,
तुमने भी बहुत अब मुझे लिया है झेल।
अब मुझे ज़रा खुद में भी खो जाने दो!
अब तुम मुझे रोको ना ज़रा भी,
हां अब तुम मुझे जाने भी दो।।

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22 JUL 2020 AT 20:51

उतनी जल्दबाजी नहीं करती हैं,
खुद को बदलने में,
जितना जल्दी - जल्दी वो अपने महबूब बदलती हैं।

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22 JUL 2020 AT 13:56

निकला हूं, बड़े आस से,

प्यार के तलाश में।

जीवनसाथी ही हो, ये ज़रूरी नहीं,

बस निकला हूं मै

एक यार की तलाश में....

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