तेरे नैनों से कैसी लगी मीत रे,
मैं हुई बाबरी , बनी तेरी मीत रे
लोक लाज अब सब भूली
कैसी ये अपनी प्रीत रे,-
मेरी मोहब्बत का तड़पना
उसकी मोहब्बत का आंसूओं में बहना
उस दर्द की दरिया में तुमको गले लगाना
तुम्हारे संग डूबना
तुम्हें बचा कर
खुद गम से मिलना
क्योंकि तुमसे मोहब्बत हुआ
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टूट जाने पर मलहम का इंतज़ार करते है
फिर ख़्वाब में मलहम खोजते है
आँख खुली तो एक ओर घाव से मिलते है-
कहानियों का दर्द मुस्कान मैं छिपा है।
आँसू बिस्तर के कोने में गिरा है।-
माँ मैं भी तेरा बेटा हूँ
पर बिना वर्दी का आया हूँ ..
तेरी आँचल मैली न हो जाए
इसलिए छाती छली करके आया हूँ ।
है नहीं ताज है सिर पर,
न ही कोई जय जयकार है,
पर वतन के लिए मां मैं भी लहू बहा कर आया हूं।
अपनों के लिए नकारा बना,
औरों के लिए उदाहरण,
पर तेरे लिए योग्य बेटा बनकर आया हूँ...
इस अमृत मंथन में,
देख माँ मैं शिव शंभू बनकर आया हूँ ॥
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तुमसे मिलने को आ रही है मेरी गीत
थोड़ी मोहब्बत दे देना उसे ये मेरे मीत ॥
तड़प है , बैचेनी भी
तुमसे मिलन को रोई है ,
उसके वियोग को आराम देना ये मेरे प्रीत
तुमसे मिलने आ रही है मेरी गीत ॥
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मैं मिट्टी की राख
तुमसे मिली में नाथ
धूल बनने वाली थी
हृदय मूर्त बनी में नाथ-
अपनी यादें दिल में दे जाता है
कांटे बन छली करती है
घायल बना कर किसी का न बनने देती है।-