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दहर से क्यों ख़फ़ा रहें, चर्ख़ का क्... read more
मलिका-ए-जहाँ
मल्लिका ए जमाने ।
मलिका-ए-सबा
मल्लिका-ए-तरन्नुम
मल्लिका-ए-ताज'
मल्लिका-ए-हुस्न'
बसंत-ए-मल्लिका बहार
मलिका-ए-किश्वर
इदराक-ए-जानाँ
दीदा-ए-जानाँ"
जान-ए-जानाँ
बस एक तुमसा तुम्हीं को देखा
तू सब से अव्वल , तू सब से आख़िर ,
मिला है हुस्न - ए - दवाम तुझ को ही
तू शाह - ए - खूबाँ ,
तू जान - ए - जानाँ ,
है चेहरा तुम्हारा या कोई ग़ज़ल
मैं तेरे हुस्न - ओ - बयाँ के सदक़े ,
ब - रंग - ए - ख़ुशबू दिलों पे उतरा ,
है कितना दिलकश ख़िताब तेरा
तू शाह - ए - खूबाँ , तू जान - ए - जानाँ ,-
होता दरिया
तो शायद तिनका
भी मिलता कहीं
मगर यहां
मैं तुम्हारी
आंखों में डूबा
हुआ शख्स हूं
जहां तिनका
भी नहीं है
सहारे का।-
मोहब्बत से बढ़कर ये मोहब्बत होगी
मोहब्बत में तुम्हारे कितनी सहूलियत है।-
इक बेजुबान को तुमने बेज़ार बहुत किया है
आईना रोकर तुम्हारा आना जाना बता रहा है-
मैं चाहता हूं
अकेले बैठ आंसू
बहाने से अच्छा है
तुम अकेले बैठ पढ़ना
ढ़ेर सारी किताबें
किताबें आंसू पोंछने
वाले हाथों की
कसौटियों पर हमेशा
बेहतर और खरा उतरा है।-
एक बाप है
जो दूर तक
बच्चों के लिए
सोचता है..
और एक बच्चे है
जो अक्सर
दरमियानो में
ही दूरियां
पैदा कर जाते हैं।
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भले ही कुर्ते की नाप
हमारी नाप
हमारे जूतों की नाप
बड़ी हो जाए,
हम बाप से कभी
बड़े नही हो सकते,
उनका बड़प्पन
हमारे हर बड़ेपन
को बौना कर देता है।
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