अपनी इस राम कहानी का
परिणाम यही बस होना है
जो खो न सका वो सब पाया..
जो पा न सका वो खोना है ।
-
बात अट्टालिका है,
धुरी बात है ।
बात है फूल औ'
पाँखुरी बात है ।
बात से बात को हम
ख़तम कर रहे ,
बात को तूल देना
बुरी बात है ।।-
ग़ज़ल.....
ये रस्ता तो आम रहा है सबके आवाजाही का।
वो पत्थर जो बीच पड़ा है दोष न देना राही का।।
सम्बन्धों के मृदु भावों की बुनियादें भी दरक गयीं ,
जाने किसने गाड़ दिया दीवार में काँटा साही का ?!
उम्मीदों की आँख मिचौली वो बारिश वो सूखापन
बूढ़ी आँखें देख रही थीं किस्सा एक तबाही का ।
धमकाया उकसाया जमकर दोनों पक्षों ने जिसको
साक्ष्य बना मैं एक अकेला सच्ची झूठ गवाही का।।
अपनी क़िस्मत अपनी हालत क्या हँसना क्या है रोना!
एक चना साबूत बचा जब पाँच पाँच की गाही का ।।
#अंकुर_सहाय_अंकुर-
गीत .. अपरिष्कृत ....
रात निगोड़ी सिखलाती है,
तनहाई का अर्थ।
सपनों के ताने-बाने का ,
रहा परीश्रम व्यर्थ ।
जब भी चाहा पाव पसारूं
चादर सिमट गई ।।
भाग रहा था भाग न पाया ,
छुड़ा सका ना हाथ ।
और सजा - ए- कालापानी!,
दूं जीवन भर साथ ।
यादों की यह अमरबेल!
तन- मन से लिपट गई ।।
जिसे सिखाया पूरा लिखना,
ढाई आखर प्यार ।
उसने ही दे डाला मुझको,
अच्छा सा उपहार ।
शून्य अंक का आज थमा कर
सर्टिफिकेट ! गई ।।
काम क्रोध मद लोभ नाच कर,
मना रहे हैं जश्न ।
पूछ रहे हैं ! क्या दूं उत्तर ? ,
अनसुलझा है प्रश्न !
जब 'अंकुर' से दूर हुई ,
तुम ! किसके निकट गई ?।।
# अंकुर_ सहाय_ "अंकुर"
9454799898-
तुम हँसे तो लगा ..चाँद तारे हँसे ।
खिलखिलाई नदी औ' किनारे हँसे ।।
-
कान्हा को समर्पित ......
प्रीति सिखाते ही रहे हर युग आठो याम ।
बरसाने की राधिका , वृन्दावन के श्याम ।।
यमुना बोली सुन जरा - ओ कदम्ब के पेड़ !
मैं राधा को छेड़ता , तू कान्हाँ को छेड़ ।।
तेरे मेरे प्रीति की हो ऐसी पहचान ।
ज्यों मोहन के होंठ पर राधे की मुस्कान ।।
✍️ अंकुर सहाय "अंकुर"
आज़मगढ़
उत्तर प्रदेश 9454799898-
कान्हा को समर्पित ......
प्रीति सिखाते ही रहे हर युग आठो याम ।
बरसाने की राधिका , वृन्दावन के श्याम ।।
यमुना बोली सुन जरा - ओ कदम्ब के पेड़ !
मैं राधा को छेड़ता , तू कान्हाँ को छेड़ ।।
तेरे मेरे प्रीति की हो ऐसी पहचान ।
ज्यों मोहन के होंठ पर राधे की मुस्कान ।।
✍️ अंकुर सहाय "अंकुर"
आज़मगढ़
उत्तर प्रदेश 9454799898-
कान्हा को समर्पित ......
प्रीति सिखाते ही रहे हर युग आठो याम ।
बरसाने की राधिका , वृन्दावन के श्याम ।।
यमुना बोली सुन जरा - ओ कदम्ब के पेड़ !
मैं राधा को छेड़ता , तू कान्हाँ को छेड़ ।।
तेरे मेरे प्रीति की हो ऐसी पहचान ।
ज्यों मोहन के होंठ पर राधे की मुस्कान ।।
✍️ अंकुर सहाय "अंकुर"
आज़मगढ़
उत्तर प्रदेश 9454799898-
बुरा न मानो ......
रंग छुड़ाने के लिए दौड़े सन्त महंत !
नल लेकर जिस ओर हैं भागे आज जयंत ?
अकल में ही कलेश है
ये होली भी विशेष है ।।
इकलौता हाथी लिए ...बूआ हुईं उदास !
हाथ जोड़ युवराज ने जगा दिया विश्वास !!
हमारी मति थी मारी ।
करो फिर से तैयारी ।।
टीपू जी ने मंच से पूछे खूब सवाल !
ममता दीदी ने तभी ...गेंदा दिया उछाल !!
कौन अब फूट के रोवे ?
खदेड़ा किसका होवे ??
सब सीटें अखिलेश को जहां दिए सब चेत !
पांच साल तक सांड अब नहीं चरेंगे खेत !!
वहां पर नई हवा है ।
वहीं पर नई सपा है ।।
नीला पीला या हरा , हो काला या लाल !
सबके ऊपर आज चढ़ भगवा करे कमाल ।।
न पूछेंगे अब ' का बा '
रहें यू पी में बाबा ।।
#9454799898-
🌕🌕🌕🌕🌕️
कर न सकी दुनिया कभी
गंगा का एहसास ।
कठवत ले कर आज भी
बैठा है रैदास ।।
*****
जिनका मन चंगा नहीं
वे करते उपहास ।
जीते - जीते मर रहा
घुट - घुट कर रैदास ।।
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