Srishti Tiwari  
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Joined 2 November 2016


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Joined 2 November 2016
3 MAR 2019 AT 23:25

सरकता हुआ समय विचलित करता है मन को।
एकाएक तीव्र इच्छा होती है समय में घुल कर देखूँ....

बंद कर आँखों को एक क्षण घुल कर देखा समय में,
सोच कर देखा रुके हुए समय का रूप, आश्चर्य !
दुःख , एकांत और असफलता का चलता एक लूप, अनवरत !
मैं जहाँ की तहाँ, जड़, शिथिल और बेडौल ।
क्षण भर में, black hole सा जान पड़ने लगा समय..
एक एक कर, लीलता हुआ दुःख, एकांत, कल्पनाएँ और स्मृतियाँ

व्याकुल हो आई बंद आँखों को खोल दिया मैंने और सरक जाने दिया समय को एक बार फिर ...

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3 FEB 2019 AT 12:49

तुम और मैं गुलाबी शिरीष के अस्तित्व पर करते रहे हैं चर्चाएँ...

"नहीं चढ़ाए जाते ये देवी देवताओं पर, न नेताओं पर, न अभिनेताओं पर" मैंने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा ।
तभी उचक कर तुमने एक शिरीष का फूल तोड़ा और खोंस दिया मेरे बालों में, ये कहते हुए की " ये चढ़ाए जाते रहे हैं यूँही प्रेम पर" ।

और मैं स्वतः खिल उठी गुलाबी शिरीष की मानिंद !

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9 DEC 2018 AT 22:27

नयनों को काजल की रुखाई
और अंतस को तुम्हारी विदाई
अब ज़्यादा नहीं खलती
क्योंकि
नयनों को रास आ गया है खालीपन
और मेरे जीवन को भी !

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4 MAR 2018 AT 13:05

..दोनों ओर प्रेम पलता है..

दोनों ओर प्रेम पलता है।
सखी, पतंग भी जलता है हाँ ! दीपक भी जलता है !
सीस हिला कर दीपक कहता-
'बंधु वृथा ही तू क्यों दहता?'
पर पतंग पकड़ कर ही रहता

कितनी विह्वलता है !
दोनों ओर प्रेम पलता है ।

बचकर हाय! पतंग मरे क्या ?
प्रणय छोड़कर प्राण धरे क्या ?
जला नही तो मरा करे क्या ?

क्या यह असफलता है !
दोनों ओर प्रेम पलता है ।


- मैथिलीशरण गुप्त

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12 DEC 2017 AT 14:12

'मैं, इडली-डोसा और वो'-2



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11 DEC 2017 AT 23:13

'मैं, इडली-डोसा और वो' - 1



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3 SEP 2017 AT 20:54

मोह ! एक शब्द है केवल, गहन अर्थ है इसका। कई बार हमें चेताता है ये की हम घिर रहे हैं इससे, लेकिन क्योंकि हम घिरना चाहते हैं तो इस लिए ये जकड़ता जाता है लताओं की तरह, धीरे धीरे, पहले अपनी ओर झुकाता है फिर उतने ही धीरे धीरे कब अपना आदि बना लेता है पता ही नहीं चलता।
मोह के कई कारण, कई किस्से हो सकते हैं। आपका, मेरा, हम सबका मोह हमें प्रतिपल अपनी ओर खींचता है।
चीज़ों का मोह, व्यक्तियों का मोह, धन का मोह, नशे का मोह, प्रेम का मोह यहाँ तक की खुद से भी मोह सिर्फ दुर्बल बनाता चला जाता है।
हम इस प्रतिपल घिरती आ रही दुर्बलता से नहीं कतराते, मोह को आलिंगन में ले सहेजने का प्रयास करते हैं।
मन के कोने में डर छुपा होता है मोह से दूर हो जाने का ...
क्योंकि हम आदि हो चुके हैं किसी चीज़, किसी व्यक्ति,किसी प्रेम, किसी नशे, किसी धन को लेकर।

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24 AUG 2017 AT 7:14

एकांत एक रंग है
गहरा है बाहर से
भीतर से सुनहरा है
बोझिल भी नही ये
संगी है जो ठहरा है

एकांत एक संगीत है
धीमी धुन है इसकी
और बोल बेतरतीब हैं
फिर भी मन का प्रीत है

एकांत एक आभास है
सुखद है, शीतल है
स्वयं का स्वयं से
परिचय पाने का प्रयास है !

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16 AUG 2017 AT 0:12

एक दरिया है यहाँ
तुम हो, मै हूँ और हमारा नजरिया है यहाँ
ये जो तुमने कहा
"दरिया है अपनी मौज में
बस बहता ही जा रहा है !"
ये जो मैंने कहा
"बह रहा है मौज में
या द्वंद करके जी रहा है !"
तुम अडिग हो स्वयं पर
मुझे यह भी रास आ रहा है !

एक जंगल वीरान है
तुम हो मै हूँ और ये रास्ता अंजान है
ये जो तुमने कहा
"ढाक के पत्तों के खिलने से
छट चुका है वीरानपन"
ये जो मैंने कहा
"अभी भी हर एक पत्ता
एक दूसरे से अंजान है !"
बस मालूम करना है यही
हम पथिक निर्जीव हैं ?
या ये रास्ता बेजान है !

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11 JUN 2017 AT 15:43

Me : I will make plans and complete it in sequential manner, like music player does 👉🔁😁

Life: LOL darling, I like unexpected things like shuffle 👉🔀😂

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