सबसे अंत में वे निकाले जाते हैं ज़हन से उस क्षण टूट जाते हैं तार वायलन की रुक जाती है झंकार स्त्रियाँ समेट लेती हैं भावनाएँ जिस तरह समेटती हैं काम फुर्सत से आराम करने से पहले। वे पुरुष हैं जीत सकते हैं स्त्री से किंतु हारते हैं स्त्रीत्व से उनका न होना स्वीकार लिया जाना उनकी सबसे बड़ी हार है और इनके लिए सुकून!
जो अहल-ए-इश्क़ हैं अहल-ए-हवस नहीं होते सबब न पूछ नहीं होते बस नहीं होते جو اہل عشق ہیں اہل ہوس نہیں ہوتے سبب نہ پوچھ نہیں ہوتے بس نہیں ہوتے _____________ फ़ैयाज़ فیاض