Srishti Mishra   (Srishti mishra)
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Joined 5 April 2021


Joined 5 April 2021
30 JAN 2022 AT 19:59

आंखें नज्म जुल्फ रदीफ़ होंठ तुम्हारे क़ाफ़िए से
तुम मुझे मुकम्मल ग़ज़ल से लगते हो ।

ये मेरी दुनिया की हरियाली तुमसे ही है
तेरे बग़ैर सब मरुस्थल सा मुझे लगता है ।

जो प्यासे को भिगो दें पहली बारिश
बारिश की पहली बूंद से तुम मुझे लगते हो ।

इत्र सी महक उठती हूँ तुम्हे छूकर अक़्सर मैं
तुम शंकर के शुद्ध चंदन से मुझे लगते हो ।।— % &

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30 JAN 2022 AT 19:57

आंखें नज्म जुल्फ रदीफ़ होंठ तुम्हारे क़ाफ़िए से
तुम मिझे मुकम्मल ग़ज़ल से लगते हो ।

ये मेरी दुनिया की हरियाली तुमसे ही है
तेरे बग़ैर सब मरुस्थल सा मुझे लगता है ।

जो प्यासे को भिगो दें पहली बारिश
बारिश की पहली बूंद से तुम मुझे लगते हो ।

इत्र सी महक उठती हूँ तुम्हे छूकर अक़्सर मैं
तुम शंकर के शुद्ध चंदन से मुझे लगते हो ।।— % &

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28 JAN 2022 AT 10:53

मुझे भी पीने का तो यू शौक नहीं था कभी
नजर जब से उनसे मिली मयखाने से वास्ता हो गया हमारा।।— % &

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26 JAN 2022 AT 18:24

आज तुम्हारी याद आई फिर आधी रात में
घंटों तकिए से बात की आधी रात में।
तुम्हारी नरम सांसे और गुलाबी होठ
और फिर बरसात आई आधी रात में।
तुम्हें आगोश में लेंगे और जाने ना देंगे
चाय का प्याला लगा हो हाथ जैसे आधी रात में।।— % &

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10 SEP 2021 AT 14:58

बस थोड़ा समझना ही तो था हमे....
और तुमसे वो भी नही हो पाया !!

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9 SEP 2021 AT 10:02

मुझसे बिछड़ने का इरादा कर लिए हो क्या ।
दिल को शायद अपने कुसादा कर लिए हो क्या ।।

मिले तो मुझसे पर वो बात नहीं रही अब ।
अब मुझसे भी बेजारी हो गए हो क्या ।।

बहुत रम्ज आ गए हैं तेरे मेरे दरमियां ।
खुद को नीलामी का वादा कर लिए हो क्या ।।

बिछड़ तो जाओगे मगर ये सोच लेना...
मेरे बगैर नींद को बूला पाओगे क्या ।।

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7 SEP 2021 AT 16:05

वो बस साथ निभाने का वादा किया है ...
मौत से भी लड़ने का हौसला रखते है अब तो !!🤘

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7 SEP 2021 AT 10:16

मुस्तमिल हो जाती हूं ,तेरे दर्द मे अक्सर मै
मशगूल तू इतना है कि, मेरे तबस्सुम को भी नही पढ़ पाता ।।

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6 SEP 2021 AT 9:54

उसके प्यार ने बंदी बनाया है हमे
कटघरे मे लाकर सजा सुनाया है हमे ।

जमानत तो करा लेते आसानी से हम..
सजा एक दो नही उम्र कैद की सुनाया है हमे ।

रिहाई आई जब प्यार की हमारी
नजर मिला के हथकड़ी फिर पहनाया है हमे ।।

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4 SEP 2021 AT 14:40

तूम्हारी नजऱ को मेरा इन्तजार आज भी है क्या ?
गर मै आ जाऊ तो मेरा ईदराक आज भी है क्या ?
मोहब्बत तो करते थे ये तो बखूब पता है हमे
सामने से गूजरू तो तुम्हारा दिल धड़कता आज भी है क्या ?

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