वो सच कितने सलीके से छुपाता है
मैं आखिर कैसे कहूँ वो झूठा है
इन दिनों मैं तो खुद से ही खफा हूँ
मुझे क्या पता मुझसे कौन रूठा है
वो जो इज्जत तुझे कभी मिली नही
नारी के सर उसी इज्जत का खूंटा है
मैं लुट चुकी हैं मेरी बातों पे गौर कर
जो मेरा रहबर था उसी ने मुझे लूटा है
बेफिक्र होके चल पड़ी है अब तो मुसाफ़िर
क्या फर्क है कौन साथ है कौन छूटा है
अबके तो आंखों से लहू टपका है
अब कही जाके दिल बेहतरीन टूटा है
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💝💝धन दौलत सब ताख पे रख के
बस प्यार बांटते चलो💝💝
अवध से है अवधी ... read more
ज़ख्म दिल पे,अश्को की बौछार देकर
वो तोहफे में गया है मुझे इंतजार देकर
सदियों लंबी जुदाई मीलों लंबी तन्हाई
ये सब दिया हैं मेरे दिल का प्यार लेकर
कभी तो निकले सूरज पश्चिम से
कभी तो मिले वो दिल-ए- बेकरार लेकर
खिजा-ए-हिज्र भी गुजर जाएगा मुसाफिर
जब वो आएगा मिलन की बहार लेकर
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संघर्ष ही क्यों होता है
जीवन में पग पग पर
युद्ध छिड़ा है चारो तरफ
मां के उदर से मरघट तक
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चांद तुम वादा करो
उतर आओगे तुम
उस रात जमीन पर
झील के पानी में
जब
किसी झील में नाव पे
महबूब के आगोश में
खो जाऊ
बारिश की चांदनी में
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तुमको हम सबसे छुपा लेंगे
तुम मिलो तो सही!
तुमको हम अपना बना लेंगे
तुम मिलो तो सही!-
हमीं से इश्क, हमीं से पर्दादारी भी
सुकूँ बहुत है, बहुत है बेक़रारी भी
रस्मे उल्फत,रिवाज़े मोहब्बत
सीख लो जरा तुम दुनिया दारी भी
इक दिल पेहै कई सालों से हुक़ूमत
फिर उसीको जीतने की है तैयारी भी-
सच पूछो तो उलझन है
तेरा दिल मेरी धड़कन है
देखो न! ये तुझको पुकारे
पायल की जो छनछन है
तुम बैठो मैं खुद को निहारु
तेरे नैना मेरे दर्पन है
प्रेम और भी गहरा होगा
जो तेरी मेरी अनबन है
तेरे बिन दिल को चैन नही है
दिल खुद मेरा दुश्मन है
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वो एक झलक देखे तो हम निखर जाएं
वो मुँह फेर ले हमसे तो हम मर जाएं
बिदिया कंगन झुमके की क्या है जरूरत
वो रूबरू हो उनकी आंखों में हम सवर जाए-
तुम भी कुछ पल साथ चलो गर
सफर की फिर मंजिल मिल जाये
जैसे गम में तन्हा इंसान को
खुशियों की महफ़िल मिल जाये-