ख़्वाब का रिश्ता हक़ीक़त से न जोड़ा जाए
आईना है इसे पत्थर से न तोड़ा जाए
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तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए"
कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए
तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए
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रद्द -ए- वहशत के लिए,
मैंने जलाई लेकिन...
इतनी ख़ामोश हैं आतिश,
कि धूंआँ गूंजता हैं...
तुझको शिकवा हैं कि,
तेरा नाम मेरे लब पे नहीं..
कान सीने से लगा,
देख तेरा नाम यहाँ गूंजता हैं...-
लफ्ज, अल्फाज तू और तेरी बात,
हर जगह रक्खें मैंने तेरी यादों के हिसाब,
मेरी मोहब्बत की किताब का हर पन्ना लाजवाब है,
कुछ में तुम्हारी खामोशी तो कुछ में तुम्हारे अल्फाज है ,
कुछ में बिता तेरे संग लम्हा तो कुछ में तेरा इंतजार है।
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Mere alfaz meri baaton ko meri trh dekhta...
Ek khwahish Hai koi hota jo mere liye likhta...-
Usne kaha k maine kadar nhi ki uski...
Vo bhul rha mujhe esi iljam pr...
Jamana chikh kr kah rha ki uski bewfai thi...
Naye humsafar k naam pr...-
मैंने शिकवा किया कि तुम वक्त नहीं देते,
उसने अगली बार दो-पल दिया,दिया क्या एहसान किया..
मुझे समझ पाना खैर अब उसके बस में नहीं था,
तो मेरे जज्बातों को फिर से तार -तार किया...
उसकी जरूरतें अलग थीं, मेरा नजरिया अलग था,
फिर भी जाहिर मैने उसे हर असरार किया...
मुझे रोका हर दफा अना ने मेरी,
उसके चश्म-ओ-चराग होने का वहम मैनें हर बार किया...
हर बार कहता है कि इस बार सब भूलो, इस बार मैं तुम्हारा,
उल्फत़ का ये खेल बार-बार किया....
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Zara si fikr dikhai hmne..
To mudda bna ki aap hoti Kaun Hai...
Ab kya kahe uspr ki tum bandishein Jo lga rhe mujhpr...
Tumhara v to to mujhpr ikhtiyar nhi"...-
Kyu mroge tum kisi k liye...
tumhara koi kadam ab mayne nhi rkhta. .
Log til til krke mar rhe hote hai..
Aur kisi ne kaha.." koi kisi k bina nhi mrta"-