ज़िदंगी एक जुआ हैं
किस्मत दाओ लगती हैं
पल दो पल में कईयों से खेल जाती है
कभी अच्छा कभी बुरा वक़्त लती है
पर हिम्मत मत हारो
आओकत महनात ही बनती हैं
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मे
देखो
रात कैसे घुल रही है
सफ़ेद चांद खिला है
पर अब
कलिख थोड़ी जम रही है
रुको ज़रा
महकने वाला है आसमान
और ख़ुशबू
हवाओं ने बिखरी है
मिठास फिजाओं में है
खुशिया हाथो से फिसल रही है
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कहा तक चलना है?
कब तक चलेंगे..
किस तरफ लेजैगा रास्ता?
किस ओर हम चलेंगे..
सफर काफी लंबा है..
साथ आखिर किसके चलेंगे ?
हारना मुश्किल नहीं है
तो हम जीत की चुनेंगे..
लंबा है सफर ..
चलो थोड़ा धीरे चलेंगे !
पर जब तक है रास्ता
हम तब तक चलेंगे।
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Hum khud se andhere me mulakaat krte h
Apni saso se, Havao ke sath bat krte hai
Iss tarha saajha dil ke jasbaat krte h
Hum
Raat ko din
Aaur fir din se rat ki faryaad karte hai-
Zindgi apni gulzar krna cahta hu
Kisi se dil ka izhar krna cahta hu
main baten beshumar krna cahta hu
Han main bhi ksis se pyar krna cahta hu-
Dur se dekho jitna chize utni saf nazar aati h...
Ho jitna karib, logo ki niyat utni kharab nazar aati h..
Bahak jati h dunya "nazar nazar" ke dhokhe me...
Ho dil me durd jitna cahre pe muskan utni hi khass nazar aati h...-
मन ही मन में बीत रही
सदिया एक पुरानी
मन मीठे(खुशी) का मोल तोल कर
करता
मन ही मन में मन की मधुर गानी (खुशी के गीत)
मन मध्यम सी हवा तटोल कर
लिखता
मन की गुस्ताख मनघडंत कहानी
की
कैसे बीत चुकी सादिया एक पुरानी
मन ही मन में मन की मनमानी
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वो ख़त को इस मोड़ पर....
की पन्ने भी अब वादे करते है।
मिलेंगे किसी दिन जरूर हम दुबारा...
कह कर वो किसी और किताब में आहे भरते है।
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कुछ गम भी पी रहा हूं मैं
वैसे तो उदास नहीं है दिल
पर शायद बस जी रहा हूं मैं
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है उसकी ज़िन्दगी मेरे आगे..
क्या उसे भी में अपने पन्ने सुना दु?
खफा हो गया गर वो मुझे..
तो किस तरह खुदको उसके कभिल मै बता दू?
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