Srishti   (सrishti)
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Joined 10 August 2019


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19 NOV 2022 AT 0:11

मुस्कुराहट की कीमत तब पता चलती है,
जब मुश्किलें शिद्दत से आती हैं ।

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16 NOV 2022 AT 23:51

परवाह,

आवाज़

का

इंतेज़ार

नहीं

करती

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6 NOV 2022 AT 23:57

अब क्या कहूँ की रोज़ ज़िन्दगी गुज़ारी है किस तरह ,
ये भी कोई सवाल है ,कुछ और बात कर ...

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28 OCT 2022 AT 1:56

रंजिशें है अगर तो रंजिशें ही सही,
वो हमें इसी बहाने याद तो कर रहे हैं ।
वक़्त का मोहताज़ किया था एक वक़्त पर ,
अब हमारे नाम पर वक़्त बर्बाद तो कर रहे हैं ।

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28 OCT 2022 AT 1:32

एक पुरूष की सुलझी दृष्टि ,
स्त्री को कई उलझनों से उबार लेती है ।

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7 AUG 2022 AT 1:28

हमारे साथ चलती है
तुम्हारे प्यार की ख़ुशबू ।

लगाई है जो तुमने
उस लगी को जीते रहते हैं ।

रुसवाई से तन्हा हम अकेले हैं
यू बेवज़ह सताइये ना हमें ।

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31 MAY 2022 AT 15:08

तू मेरा नहीं है इस बात का
मुझे अब मलाल नहीं है ।

दिल पहले बहुत दुखता था
अब दिल का वो हाल नहीं है ।

इंतेज़ार में गुज़रे थे मौसम
अब वो महीना वो साल नहीं है ।

जाना है मैंने जादू तो मेरे इश्क़ में था
तू इतना भी बे-मिसाल नहीं है ।

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16 MAY 2022 AT 21:44

आज भी बाज़ार से ख़ाली हाथ लौट आती हूँ,
पहले पैसे नही थे अब ख़्वाहिशें नहीं हैं ।

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15 MAY 2022 AT 1:10

तेरा आसरा उस शाम तक देखते हैं ,
जहाँ सूरज ढलके भी रोशनी
छोड़ती है |

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20 DEC 2021 AT 0:02

बस यही सोंच कर दिन गुज़ार रही हूं मैं
जैसे कोई कर्ज़ था, जिसे उतार रही हूं मैं

मेरे हिस्से में आए हर वो दिन काटने है मुझे
जिनसे बचने की कोशिश में, लगातार रही हूं में

मैं किस हक़ से सारे इलज़ाम ख़ुदा पे डाल दूं
मैं जानती हूं, सारे काम ख़ुद ही बिगाड़ रही हूं मैं

अब कहीं जी नहीं लगता, बस उम्मीद लगी रहती है
जाने कहाँ है वो अच्छे दिन, जिन्हें निहार रही हूं मैं

और मेरा मुझसे ही फासला, कुछ यूं बढ़ता जा रहा है
की आए दिन ख़ुद ही, खुद को पुकार रही हूं मैं.....

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