जहां कदर नहीं वहां जाना नहीं
जो पचता नहीं, वो खाना नहीं।
जो सत्य पर रूठे, मनाना नहीं
जो नज़रों से गिरे, उठाना नहीं।
मौसम सा जो बदले, दोस्त बनाना नहीं
ये तकलीफें तो जिंदगी का हिस्सा हैं
डटे रहना पर कभी घबराना नहीं||
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3 APR 2018 AT 0:46
जहां कदर नहीं वहां जाना नहीं
जो पचता नहीं, वो खाना नहीं।
जो सत्य पर रूठे, मनाना नहीं
जो नज़रों से गिरे, उठाना नहीं।
मौसम सा जो बदले, दोस्त बनाना नहीं
ये तकलीफें तो जिंदगी का हिस्सा हैं
डटे रहना पर कभी घबराना नहीं||
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