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Spriha Tripathi
(स्पृहा त्रिपाठी🌻)
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यादों के साथ मरना चाहती हूँ, सपनों के साथ नहीं❤️
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मैं किसी और के लेखन को पढ़ कर प्रेरणा ले स... read more
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मैं किसी और के लेखन को पढ़ कर प्रेरणा ले स... read more
Joined 3 August 2018
16 MAR 2021 AT 0:26
"स्याह रात"
मेरा शहर किसी महानगर में नहीं आता....
जहाँ दिन से ज्यादा रातें रौशन हुआ करती हैं....
हमारे शहर में,
दिन डूबने के बाद....
नदियां भी शान्त हो जाया करती हैं....
जहाँ रात के चौथे पहर में पूरा शहर निंद्रा में होता हैं
यहाँ स्याह रात को तारों के अलावा शायद ही मिले कोई...
तो यहाँ आना तो वक़्त ले कर आना....
की स्याह रात के बाद का दिन देख सको....
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स्पृहा त्रिपाठी🌻
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24 SEP 2020 AT 19:58
हर नज़र की अपनी एक नज़र होती हैं!
खाश कभी तुम मेरी नज़रों से खुद को देख पाते...
तब शायद जान पाते की तुम हो क्या?-