Spriha Sakshi   (स्पृहा साक्षी ✿)
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छोड़ो मंजिल की बातें, आओ सफर की बात करें ।।
Joined 3 May 2019


छोड़ो मंजिल की बातें, आओ सफर की बात करें ।।
Joined 3 May 2019
24 APR AT 17:46

गरीबी हो या भुखमरी,
बेरोजगारी हो या फिर हो मुद्दा मजहबी,
चाहे बातें हो भ्रष्टाचार की,
या वादें हों शिष्टाचार की।।

इन बातों से उम्मीदवारों को सच में इतना लगाव है,
या बस इसलिए की चुनाव है ?

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23 APR AT 19:13

एक शोर है भीतर ,
खामोश सी ।।

एक खामोशी है बाहर,
शोर सी।।

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3 SEP 2022 AT 23:08

हमेशा ही मुझे विकल परिस्थिति में छोड़ जाते हैं ।।

अंधकार में जलते हुए दिए की ,
वो आखिरी टिमटिमाती हुई लौ ।।

आसमान से टूटते हुए तारे की,
वो आखिरी सी चमक ।।

या फिर, तुम्हारे साथ बिताए ,
वो आखिरी कुछ क्षण ।।

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17 JUL 2022 AT 12:43

मैं चाहती हूं सहेज कर रखना,
तुम्हारे अंदर का बचपन ।।
ठीक वैसे ही जैसे सहेजी जाती है,
कोई अत्यंत प्रिय वस्तु ।।

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19 JUN 2022 AT 23:25

तेरे साथ होना,
कुछ ऐसा है मानो,
बर्फीली सर्द हवाओं में गरम एक लिहाफ हो जैसे,
तपती गरम दोपहरों में ठंडी सी छांव हो जैसे,
बरसते हुए तूफानों में कोई मकान हो जैसे,
थके हुए से शामों में राहत की एक सांस हो जैसे।।

मैं कोशिश चाहे कितनी भी कर लूं,
लेकिन ये दिन, ये रातें
और ,
ये मौसम भी कहां बयां कर पाती हैं,
वो सुकून जो तेरे साथ होने में है ।।

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1 JUN 2022 AT 23:26


तुम्हारा यहां होना ,
इस अंजान से शहर में घर होने जैसा है ।।

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10 MAY 2022 AT 11:08

समंदर सी, ये तेरी गहरी आंखें।।

मैं बेचैन सी,
उन काफिर नदियों की तरह ,
जो खो जाऊं तुझमें तो बस आराम मिले ।।
जो खो जाऊं तुझमें तो बस अंजाम मिले ।।

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14 APR 2022 AT 14:51

मन मेरा रेगिस्तान,
और प्रेम तुम्हारा मृगतृष्णा सा।।

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12 APR 2022 AT 19:34

उनकी बड़ी - बड़ी उन आंखों ने,
समेट रखे हैं मेरे सारे छोटे ख्वाब ।।

उनकी बड़ी - बड़ी उन आंखों ने,
सहेज रखे हैं मेरे सारे छोटे ख़्वाब ।।

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17 MAR 2022 AT 11:47

मैं तुमसे वायदे नहीं चाहती ,
चांद और सितारे तोड़ लाने की।।

मैं बस इतना चाहती हूं,
की जब मैं आसमां में चांद को निहारूं,
तुम मेरा हाथ अपने हाथ में थामे रखना।।

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