Spriha Sakshi   (स्पृहा साक्षी ✿)
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छोड़ो मंजिल की बातें, आओ सफर की बात करें ।।
Joined 3 May 2019


छोड़ो मंजिल की बातें, आओ सफर की बात करें ।।
Joined 3 May 2019
23 FEB AT 15:32

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30 JAN AT 22:49

कुछ चीजें जो वक्त के बाद खो जाएगी,
उन्हें बचाना चाहती हूं ।।
जैसे सूखे पत्तों की मर्मर,
अधूरी लिखी कविताएं,
बिन पते की चिट्ठियां,
सुखी नदियां,
मुरझाई कलियां,
टूटते सितारों की चमक,
और दिए की आखिरी लौ ।।

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9 JAN AT 18:38

कुछ वक्त जो गुजर चुके हैं, कभी नहीं गुजरते ।।

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30 JUL 2024 AT 17:06

चांद का प्रतिबिंब
( Read the caption )
🌚🌚

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12 MAY 2024 AT 13:58

हमें संवारते-संवारते ,
भूल जाती है खुद भी संवरना ,
खो देती है अपने सारे एहसास।।

शायद मां भी ढूंढती होगी अपना बचपन,
अपने मां के पास।।

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11 MAY 2024 AT 16:16

जरूरी है कुछ चीजें बिखरी हुई भी,
जैसे , तुम्हारे बिखरे बाल,
बिखरी हुई तुम्हारी यादें,
और बिखरी हुई सुनहरी सी धूप।।

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24 APR 2024 AT 17:46

गरीबी हो या भुखमरी,
बेरोजगारी हो या फिर हो मुद्दा मजहबी,
चाहे बातें हो भ्रष्टाचार की,
या वादें हों शिष्टाचार की।।

इन बातों से उम्मीदवारों को सच में इतना लगाव है,
या बस इसलिए की चुनाव है ?

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23 APR 2024 AT 19:13

एक शोर है भीतर ,
खामोश सी ।।

एक खामोशी है बाहर,
शोर सी।।

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3 SEP 2022 AT 23:08

हमेशा ही मुझे विकल परिस्थिति में छोड़ जाते हैं ।।

अंधकार में जलते हुए दिए की ,
वो आखिरी टिमटिमाती हुई लौ ।।

आसमान से टूटते हुए तारे की,
वो आखिरी सी चमक ।।

या फिर, तुम्हारे साथ बिताए ,
वो आखिरी कुछ क्षण ।।

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17 JUL 2022 AT 12:43

मैं चाहती हूं सहेज कर रखना,
तुम्हारे अंदर का बचपन ।।
ठीक वैसे ही जैसे सहेजी जाती है,
कोई अत्यंत प्रिय वस्तु ।।

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