कुछ लोग अपने होकर भी अपने नहीं होते है
दिखते अपने है मगर अपने नहीं होते है
कुछ लोग अपने होकर भी अपने नहीं होते है ।-
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Photography ❤️ ac @sp.shridhar_patil
Lawyer
वक्त मिल जाए तो मुझसे बात करना
दिल भर जाए किसी से तब मुझसे बात करना
इश्क़ है तुमसे, फ़र्ज़ बनता है मेरा तुम्हारा इंतज़ार करना
कोई पाबंदी नहीं तुम जिससे चाहे उससे इश्क़ करना
वक्त मिल जाए तो मुझसे बात करना-
कभी मिला वक्त तब लिखूँगा
वो खूबसूरत पल जो मैंने सोचे जरूर थे
मगर कभी जी नहीं पाया ।
कभी लिखूँगा वो पल जिसे
सोचा बहुत बार मगर
पूरा नहीं कर पाया ।
देखे सपने जी ना सका
सोची चीजे कर ना सका
नाकाम हुआ बहुत मर्तबा
सोचा वो कर ना पाया ।
वो खूबसूरत पल जो मैंने सोचे जरूर थे
मगर कभी जी नहीं पाया ।-
हजारों परेशानियाँ है पर मुस्कुरा रहा हूँ
थोड़ी अड़चने है राह में मगर हारा नहीं हूँ
हर परेशानियों से मुस्कुरा कर लड़ रहा हूँ
थका नहीं हूँ थोड़ा धीमा ज़रूर हूँ
मगर परेशानियों से डर कर भागा नहीं हूँ
हजारों परेशानियाँ है पर मुस्कुरा रहा हूँ ।-
एक प्रश्न है? ….
क्या पैसो का ना होना किसी को ग़रीब बना देता है ?
और क्या पैसे वालों को कुछ भी कह देने का हक़ मिल जाता है ?
क्या पैसो का ना होना कोई अपराध है ?
क्या किसी की परिस्थिति जान कर भी उसका मज़ाक बनाना
पैसे वालो को अमीर बनाता है ?
क्या पैसों का ना होना किसी के सम्मान को भी समाप्त कर देता है?-
एक उलझा हुआ सा किरदार हूँ मैं
लोग सोचते हैं बहुत समझदार हूँ मैं
ख़ुद ही ख़ुद की तलाश में उलझा हुआ हूँ मैं
ये कैसा तलबदार हूँ मैं ।
हाँ थोड़ा गंभीर सा मिजाज है मेरा
फँसा हूँ ख़ुद में ख़ुद ही और
खुद ही जवाब हूँ मैं
ये कैसा कैसा तलबदार हूँ मैं ।-
पिता….
पिता का प्यार देखा है , पिता का क्रोध देखा है
पिता की फ़िक्र को देखा है, पिता का त्याग को देखा है
पिता का धूप में तपता चेहरा देखा है
पिता के चेहरे पर उभरती पपरेशानी को देखा है
पिता ने बच्चों में अपने बचपन को देखा है
पिता ने बच्चों अपना जीवन देखा है
सारी खुसियाँ छोड़ कर पिता ने बच्चों की खुशी में अपनी खुशी को देखा है
ढलते शरीर की थकान को देखा है
बढ़ती परेशानी को देखा है
बदलते रिश्तों को देखा है
एक पिता ही है जिसने
सारा जीवन त्याग कर बच्चों में ख़ुद को देखा है
मैंने पिता का प्यार देखा है
मैंने पिता की फ़िक्र को देखा है ।-
मैंने पिता का प्यार देखा है , पिता की फिक्र को देखा है
पिता का क्रोध देखा है, पिता का त्याग देखा है
अपने बच्चों में पिता ने अपना जीवन देखा है
अपनी खुसियाँ छोड़ कर पिता ने बच्चों की खुशी में अपनी खुशी को देखा है
सारा जीवन त्याग कर बच्चों में ख़ुद को देखा है
मैंने पिता का प्यार देखा है-
हम रिश्ते बनाते रहे अपनों के लिए
अपनों ने पल भर में पराया कर दिया
रिश्ते सारे भुला कर अपनों से
गैरों का दामन थाम लिया
जरूरत लगी तो फिर रिश्ते याद आये
नहीं तो अपनों ने पल भर में पराया कर दिया।-
यूं तो जिंदगी में अरमान बहुत है
जिसे देखो वो परेशान बहुत है।
करीब से देखा तो निकला रेत का महल
मगर दूर से इस महल की शान बहुत है।
कहते है लोग सच का कोई मुकाबला नहीं
मगर आज झूठ की पहचान बहुत है।
बड़ी मुश्किलों से मिलता है शहर में एक आदमी
यूं तो कहने को जमाने में इंसान बहुत है ।
यूं तो जिंदगी में अरमान बहुत है
जिसे देखो वो परेशान बहुत है।-