आओ पास बैठो मेरे,एक बात बतानी है। एक कहानी जिसमें राजा और एक रानी है। एक दूसरे के बिना वो रह नहीं सकते, एक मस्ताना दूसरी मस्तानी है। चोट लगे एक को दर्द दूसरे को हो, रिश्ता कुछ उनका ऐसी रूहानि है। आओ पास बैठो मेरे,एक बात बतानी है।
बिखर सी गई है ज़िन्दगी खुद को समेटना पड़ेगा मजिल तुम्हारी है, तुम को चुनना पड़ेगा वो तो लोग कहते हैं साहब के तुम्हारा भी वक़्त आएगा उनको क्या पता वक़्त चल रहा है हमको उसके हिसाब से चलना पड़ेगा हमारी मेहनत आगे हमारी वक़्त ते करेगा।
कुछ उम्मीदें लेके 2021 से चला था जो लक्ष्य बनाए थे के 2021 के अंत में पूरा करूंगा खुद को साबित करूंगा दुनिया को दिखाऊंगा वो सब धारा का धारा रह गया जो कुछ कदम कामयाबी की ओर बढ़ाया था बस वहीं खड़ा रह गया। देखा कुछ मुझसे आगे निकल गए तो, कुछ मुझसे पीछे छूट गए। ऐसे ही कोई आगे निकलेगा कोई पीछे छूट जाएगा, किसिके साथ हम चल नही सकते ऐसे ही समय का पहिया घूमता रहेगा साल पे साल बीतता जाएगा अंत में यही समझ आएगा के ए इंसान कर्म कर क्यूंकि यही एक चीज तुझे तेरी पहचान दिलाएगा।
सुनसान सड़क, अंधेरी रात उपर से ओलों की बरसात और चाय की टप्री पे में और मेरा प्यार हाथ में चाय का ग्लास था एक एक लम्हा उस रात का मुझे मरते दम तक याद था ऐसे ही कुछ हसीन पल दिल मै घर कर जाते हैं बेशक अपने साथ छोड़ दें मगर, उनके साथ बिताया हर एक लम्हा ज़िन्दगी भर याद आते हैं।
महीने भर धूप मै तपता है घर की जगह खेतों मै सोता है अपनी फसल बचाने लिए , हर मुमकिन कोशिश करता है किसान बड़ा भोला है खुद ज़हर खाता है मगर दुनिया का पेट भरता है।
जितना अब हो गया बीते वक्त के साथ, तुम्हारे साथ बनाया वो प्यार का आसियाना डेह गया जिन छोटी छोटी बातों पे हमारी तुम प्यार लुटाया करते थे, अब उनपे झगड़ना भी हो गया समझने समझाने का वक़्त, तो कब का गुजर गया अब तो हमारे बीच सिर्फ चंद यादों का सहारा रह गया
वो बचपन वाली लूक्का छिपी या हो गुल्ली डंडे का खेल चाहे वो दादा दादी का प्यार हो या हो दोस्तों का मेल, वो सब याद आता है ज़िन्दगी मै बचपन के मायेने गुजर ने के बाद समझ आते हैं।