मैं हमेशा तुम्हारी आँखों की चमक महफ़ूज़ रखना चाहता हूँ। मुझे दुनिया जहान से कोई सरोकार नहीं... मैं बस चाहता हूँ, जब कभी भी बात हो... एक रात की... कुछ तारों की... चाँद की... फूलों की... हल्की सर्दियों की... तो उनमें तुम्हारी आँखों की चमक का ज़िक्र ज़रूर होना चाहिए॥