sourav malik   (✍️ सौrav_Mलिक 🖤)
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Joined 19 July 2019


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Joined 19 July 2019
8 APR AT 0:59

ना कोई हादसा होता ना मौत आती ना जीने की चाहत है,
जाने क्या मसला है मेरा जो अब ज़िंदगी एक आफ़त है…

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31 MAR AT 21:16

एक अरसा बीता के फिर आए उसकी दीद के दिन
फिर एक लंबा इंतज़ार फिर से ना उम्मीद के दिन,
छोड़ो मियाँ क्यों दिल दुखाने लगा ये बताकर हमें
वो फिर निकली है किसी और के साथ ईद के दिन।

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12 FEB AT 23:54

वो किसी और का हो गया बची मेरे हाथ में उसकी ये तस्वीर देखिए
जिसको वो मिला होगा उसकी तक़दीर देखिए मेरी तक़दीर देखिए,
कमबख़्त कोई क्या ही तरस खाएगा मेरा ये हालत-ए-हाल देखकर
लोग यही कहते है कैसे हाल में दरख़्त के नीचे बैठा ये फ़क़ीर देखिए,
अपने ग़म को पास में रखकर ख़ुद अपनी मौत का मुआयना करता हूँ
इक तरफ़ा इश्क़ है साहब ख़ैर अब मामला कितना है गंभीर देखिए,
दोनों का तो हश्र एक सा होना था फिर ये कौन-सी बात बनी भला
एक तरफ़ रोते रोते राँझा मर गया दूसरी और मुस्कुराती हीर देखिए,
ज़माना कहता है किसी अजनबी ने मुझे इतनी बेरहमी से मारा होगा
क़ातिल अपना था ग़ौर से उँगलियों के निशाँ देखिए, ये तीर देखिए..

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29 JAN AT 18:01

कोई तो लौटा दो वो चीज़े मेरी
एक वक़्त जिनसे था वाबस्ता मेरा,
वो माँ की गोद, बाप की उँगली
वो एक पेंसिल और ख़ाली बस्ता मेरा,
बेलौस कुछ नहीं जवानी में मेरी
बर्बाद है जवानी का हर रस्ता मेरा…

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27 JAN AT 13:12

हँसते हुए वो मेरा हाल पूछने लगा था
ये कैसे कैसे बेतुके सवाल पूछने लगा था
इस तरह से फ़र्क़ आया उसके जाने से
आँखों के आँसू उसका हाथ नहीं एक रूमाल पोंछने लगा था
अपना घर बसाने के लिए परिंदे का घोंसला उजाड़ तो दिया
अब परिंदा रोज़ आकर अपनी कटी डाल पूछने लगा था
और हैरत तो करना लाज़मी था उस कमबख़्त पर
आख़िर मेरे मरने के बाद वो मेरा हाल चाल पूछने लगा था ..

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10 NOV 2024 AT 20:14

अब क्या ही करोगे रखकर ज़माने में आज़माइशों को मेरी
सबने एक एक कर के मार डाला सभी ख़्वाहिशों को मेरी,
हर बार इक तवक्कों थी के तुम्हारे साथ वक़्त गुज़ारना था
हर बार तन्हा छोड़कर करते रहें नाकाम क़ोशिशों को मेरी,
तेरे तग़ाफ़ुल के चलते ख़ुदा को कुसूरवार करार कर डाला
के शायद वही करता होगा नज़रअंदाज़ गुज़ारिशों को मेरी,
और था भरम के उसके होने से रौशनी में कुछ इज़ाफ़ा होगा
मगर वो बुझा कर गया ज़िंदगी की सब ताबिशों को मेरी,
मैं कभी याद आऊँ तो आसमाँ की तरफ़ ज़रा रुख़ करना
फिर समझकर बूँद उसे गले से लगा लेना बारिशों को मेरी॥

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13 FEB 2024 AT 16:00

हमनें चाहा नहीं किसी और को तुम्हें चाहने के बाद
ख़ैर तुम्हें इसका एहसास होगा हमारे गुज़र जाने के बाद,
आप लोग भी जी भर कर देख लो मेरे चेहरे की हँसी को
क्यूंकि कहानी बडी ग़मगीन है हँसने-हँसाने के बाद,
जब ख़ुद पर बीतेगी तो मैं भी देखूँगा ये तमाशा बैठकर
अभी तो बहरहाल सब चुप है मेरा घर जलाने के बाद,
मैं बदबख़्त अब खुशियों का बोझ नहीं उठा पाता
मुझे अब सुकून आता है अपना दिल दुखाने के बाद,
मेरे पागलपन ने ज़माने भर को इस कदर दिवाना किया
फिर तो साहब कई दिवाने हुए इस दिवाने के बाद,
और ' मलिक' बड़ी देर लगी उसको मेरी ओर देखने में
फिर देखता रहा मेरे जिस्म को पंखे से उतारने के बाद..

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19 JAN 2024 AT 1:12

समझता हूँ तेरी कोशिशों को के तू मुझको पा सके
फिर तेरी बेचैनी ख़त्म हो और तू मुझको भुला सके

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11 JAN 2024 AT 6:55

तुमसे बिछडा तो सबकी ज़ुबाँ पर इक सवाल हो गया
वो तो तुम्हें बड़ा चाहता था फिर भी छोड़ गया कमाल हो गया,
है आलम इस कदर के मेरी जेबें ग़म-ओ-दर्द से लदी रहती है
मोहब्बत के नाम पर मैं भिखारी की तरह कंगाल हो गया,
कभी हँसता हूँ ,तो कभी रो पड़ता हूँ अपनी बेबसी देखकर
सच कहूँ यार मैं हरगिज़ ऐसा नहीं था बस फ़िलहाल हो गया,
तन्हाई को सहारा देने के लिए कभी मय, कभी कश लेता हूँ
अभी भी कमरा धुआँ धुआँ है मेरा खाँसकर बुरा हाल हो गया,
और वो कभी लौटकर आए मेरे बारे में उसको कुछ ना बताना
फिर ज़्यादा ज़िद करने लगे तो कहना उसका इंतिक़ाल हो गया…

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21 DEC 2023 AT 4:06

पानी से भी हिचकियाँ ख़त्म नहीं होती,
आख़िर कौन हमें इस कदर याद करता है..

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