हवाओं का हर एक झोंका, परेशां करेगा तुम्हे।। जब तेरी ज़ुल्फे कानों से , वापिस लाने वाले को ढूँढेंगी।। हर एक सड़क पे मेरी आहटे, ढूँडोगी तुम।। जब तुम्हारे हाथ, सड़क पार कराने वाले को पुकारेगी। भीड़ मे भी तन्हा महसूस करोगी तुम।। जब तुमहे थमने वाला की नही रहेगा। वक़्त हिसाब, लेगा ज़रूर। बस, तेरे बेवफाई के घड़े भरने का इंतेज़ार हैं।।
सबको सम्हालने वालों को ,सम्हालने वाले कम होते हैं।। अक्सर, दूसरो के आंसू पोछने वालों, के आंखे नम होते हैं। एक पुकार में आने वाले लोगो, के ज़नाजे में भिड़ कम होते हैं।।
डर रहा हूं, देखने को ,सरेआम तेरी आंखें में।। पता नही, जो सच मैने चाहा ,वो कोई और देख न ले। बड़ी मुश्किल, से छिपाए हैं जज़्बात अपने।। पता नही, कोई और खयालात उसे चीन न ले। तेरा मेरा, कोई रिश्ता तो नही हैं लेकिन।। मैने जो ख्वाब में देखा हैं कोई देख न ले।
बदल गए मौसम, तो यार तुम अब आए।। सुधर गए हालत जब, तो हमदर्दी के मलहम ,यार तुम अब लाए।। छेद थी कश्ती में मेरे, डूबने का दर था।। हालत कुछ सही न थे, पत्थरो से भरा सफर था। ए यार, जिंदगी थी मेरी, दुख से भरी, झटको भरा सफर था। दुख झेले हजार थे,पर तेरे ही धोखे का दर्द था।
ए मंजिल, तुम्हे ताकते, निहारते और तुम्हे पाने की चाह में एक और साल गुजर सा गया ।। न हैसियत हुई, न मौका मिला बस कुछ और वक्त का दिलासा मिला। मंजिल के ओर, कदम बढ़ते तो रहे और, नए ठोकरों से वास्ता बढ़ता गया ।। मंजिल जो चुनी थी, उसतक रास्ता भी बढ़ता गया। ए मंजिल, वक्त गुजरते गुजरते एक और साल गुजर सा गया ।।
अंजान रास्तों पर , नए सफर, पुराने ज़ख्म ,लेके बढ़ चले हम।। कुछ याद, फरियाद, रंजिश, आरज़ू ,वक्त से लेके, आगे बढ़ चले हम। नए सफर में, नए आस लिए , पुराने सपने संजो कर, नए आयाम चुने ,बढ़ चले हम।। कुछ पीछे छोड़ कर , कुछ आगे लेके , थोड़े मोढ़े, वक्त की तालीम संजो कर आगे बढ़ चले हम।