सुनो-
वो भी कमाल निकले,
समय ख़राब चल रहा था हमारा,
मौका देखते ही हमें सही समय पर छोड़ दिया।
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सुनो-
उनके भीगे हुए जुल्फें को देखकर मेरी नीयत बदलने लगी,
दोस्ती करने की चाहत हमसफ़र बनाने की चाहत में तब्दील होने लगी।
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सुनो-
मोहब्बत की फर्श पर फिसलन तो होनी थी,
हमने उस शख्स पे हद से ज्यादा मोहब्बत बरसा दिए थे।-
सुनो-
मैं जयपुर सा खूबसूरत शहर, तुम हो पवित्र सी खाटू धाम प्रिय,
मेरी आज जो पहचान हैं वो सिर्फ़ तेरे वजह से है प्रिय।-
सुनो-
पेट्रोल की भाव सी हैं मोहब्बत तुझपे,
दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं।-
खूबसूरत सा ये दरबार,
कदम रखते ही सारे संकट दूर हो जाते हैं।
जितना हम श्याम बाबा से मांगते हैं,
उससे कई गुना ज्यादा बाबा हमारी झोली में भर जाते हैं।-
सुनो-
मोहब्बत की याद किसी दिन इतना सता देती हैं,
तकिए से लिपटकर कह देता हूं-"तुम्हारी याद बहुत आ रही है।"
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गुलाब को गुलाब दी गुलाब वाले दिन,
गुलाब पाकर गुलाबी सा चेहरा हो गया मेरे गुलाब का।-
ज़रा सुनना कुछ कहना है मानोगी क्या,
भूला के गिले शिकवा कभी मैं रूठ जाऊं बच्चों की तरह तो मुझे मना लोगी क्या?
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Trust and lie are equally proportional to each other,
The more you will trust people, the more lie they will tell you.-