मुझे तो आजकल है सिर्फ़ एक काम मोशमी
हाँ लिखता हूँ मिटाता हूँ तेरा ही नाम मोशमी
मुझे पड़ोस और घर के लोग सनकी कहते हैं
पुकार कैसे सकता हूँ मैं सुबह शाम मोशमी
ख़ुदा को क्या बुलाना ही पड़ेगा इस ज़मीं पे अब
मैं थक गया हूँ तुझपे पढ़ के अब कलाम मोशमी
मेरी यही है आरज़ू तू समझे मेरे इश्क़ को
जो तेरा इश्क़ है तू उसका हाथ थाम मोशमी
तेरा ये जिस्म इश्क़ वक़्त सब उसे दे ग़म नहीं
अगर वो तेरा शाह तो मैं हूँ ग़ुलाम मोशमी
मैं उनमें से नहीं जो गाली इश्क़ को गँवा के दे
दुआ है दोनों पाओ ऊँचा सा मक़ाम मोशमी-
Insta - #100rav_d_shayar
इंतजार है किसी का जो म... read more
“मोशमी”
मैं कबूतर तो वो खिड़की है मोशमी
चाहता हूँ मैं वो लड़की है मोशमी
इस ज़माने से क्यों डरती है मोशमी
अब ग़लत से निडर लड़ती है मोशमी
हीरे जैसी वो अब चमकी है मोशमी
ज़ुल्म अब तो नहीं सहती है मोशमी
मैं क़दम जैसे तो धरती है मोशमी
जैसे बारिश यहाँ पहली है मोशमी
नूर तारों में भी भरती है मोशमी
देखने में परी दिखती है मोशमी
यार क्या अब कहूँ कैसी है मोशमी
सोचा था जैसी बस वैसी है मोशमी
साथ सौरभ के बस जँचती है मोशमी
पर लगन में किसी बहकी है मोशमी
इन दिनों जाल में उसकी है मोशमी
लौट आ दिल की गर सुनती है मोशमी
मत समझ इश्क़ जिस्मानी है मोशमी
प्यार से बढ़ के तू पत्नी है मोशमी
देर की तू ने अब गर्दी है मोशमी
देख आयी मेरी अर्थी है मोशमी-
देखो जब तब बनके पागल देखता है,
हर जगह हरदम ये पल पल देखता है,
बाल, चेहरा, गाल, आँखें भी हैं लेकिन,
बेहया तो सिर्फ़ आँचल देखता है,
इस क़दर ब्लू फ़िल्मों ने है अब बिगाड़ा,
आँखों का अब कौन काजल देखता है,
नौजवानों पर हवस ऐसे है हावी,
रोड, घर, दफ़्तर न जंगल देखता है
शर्म से नीचे नज़र कर जाने वाला,
चोर बन जाता है पायल देखता है,
है नई खिड़की न इतना देख सौरभ,
कब तलक बोलेगा बादल देखता है-
मिरा दिल यार हिम्मत क्यों नहीं करता,
नज़र से ही 'इबारत क्यों नहीं करता,
पलट कर देखती हैं यार वो भी जब,
बता कर ज़ीस्त जन्नत क्यों नहीं करता,
मोहब्बत हम-सफ़र बनकर नहीं है जब,
तु जोरू से मोहब्बत क्यों नहीं करता,
ज़काती ग़म में है मा'रूफ़ होकर अब,
ख़ुदा मैं ख़ैर-बरकत क्यों नहीं करता,
उसे हक़ है मोहब्बत का किसी से भी,
है ग़म में सब कि नफ़रत क्यों नहीं करता,
मिली जब मौत थी हैरत मे ये सौरभ,
तु कोई भी शिकायत क्यों नहीं करता-
कितनो की साथी है रात,
शाम हुई और तू जा रही है,
सब्र कर अभी बाकी है रात,
पूरा दिन तुम मेहनत करो,
हमारे लिए काफी है रात,
जो जुगनू हैं उनसे पूछना,
जन्नत की तो झांकी है रात,
शायरों में जॉन, मीर, गालिब,
कभी तहजीब हाफी है रात-
I know we are all busy,
My question is tricky,
Let me make it easy,
Is love for heart refugee-
तेरी ओर क्यूं नही जाते,
मैं और मेरे ख्वाब दोनों,
चलते है सफर नहीं करते-
खुला मौसम यहां बारिश वहां बारिश,
किसी को है सजा बारिश मजा बारिश,
मधुर अरिजित रुला देंगे सुला देगें,
करे जो दर्द तू उनको रुला बारिश,
मिरे जो आँख में इक आस है तेरी,
कभी उनमें बरस कर तो दिखा बारिश,
कहीं जो आग है घर में लगी यारा,
न आकर दे रही है तू दग़ा बारिश-
दो दिन और सच्चे प्यार को मना कर रही हो,
एक मजदूर के पगार को मना कर रही हो,
तेरे गहने के लिए मां ने अपने वाले बेच दिए,
घर वालों के साथ सुनार को मना कर रही हो,
तेरे घरवालों ने भी तो शादी के कार्ड बांटे होंगे,
बदनामी होगी यार बेकार को मना कर रही हो,
एक मरीज हैं तुम्हारे दीदार को दवा समझता है,
चारागार बनकर बीमार को मना कर रही हो,
किसी का लिखा सुनाकर उसने फांस लिया है,
उसके चक्कर में फनकार को मना कर रही हो,
मेरे चाहने वाले जान ही लेंगे इस सितम को,
ये खबर न छापो अखबार को मना कर रही हो-