वो लम्हा खास था, जब उसकी आवाज़ आई,
सारे शिकवे भूल गए, बस सुकून सी छाई।
कहा कुछ ख़ास नहीं, पर दिल को छू गया,
एक "कैसे हो?" ने जैसे जख्मों को सिल दिया।
ना वो पुरानी बातें, ना कोई शिकायत थी,
पर उसकी फिक्र में छुपी मोहब्बत थी।
वक़्त कम था, बात छोटी सी हुई,
मगर उस एक पल में ज़िंदगी सी जगी।-
मुबारक हो तुमको मोहब्बत नई,
पुरानी कहानी ख़त्म हो गई।
पुरानी कहानी ख़त्म हो गई।
जो कल तक मेरे दिल पर राज़ करते थे तुम,
ओ मेहरबानी, अब ख़त्म हो गई।
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मैं अपनी कहानी लिखकर,
कहीं खो जाता हूँ,
उसकी यादों में
थोड़ा-थोड़ा रो जाता हूँ।
आएगी फिर जब उसकी याद,
तो तुम्हें सुनाऊँगा कोई दास्तां,
अभी रात हो गई है,
थोड़ा सो जाता हूँ।-
ज़हर में भी उतना ज़हर नहीं था, मेरे यार,
जितना सुकून से उसने किया मेरा इनकार।
मुस्कुरा के उसने दिल तोड़ दिया कुछ यूँ,
जैसे एहसान कर रही हो वो हर बार।
हम तो बस धड़कनों में उसे बसाए बैठे थे,
पर वो तो खेल रही थी मोहब्बत का जुआ हर बार।
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मुझे गुनहगार साबित करने की गुस्ताखी न कीजिए
क्या-क्या कुबूल करना है बस इतना बता दीजिए
हां एक गलती हुई थीं मुझसे भी जनाब
उस गलती की सजा मौत ना दीजिए-
तुझे खबर नहीं मेरी
बर्बादी की जनाब,
मैं हँसता रहा, सीने में लिए हजारों ख़्वाब।
मेरी माँ कहती है
तू फ़ौलाद सा मजबूत है,
हर आँसू में छुपा तुझमें कोई सबूत है।
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