अच्छा हुआ कि वो चेहरा ही सांवला था !
वर्ना गोरा रंग मशहूर हैं चाय,
पानदुकानों में....
कितना भी करा ले हम साफ़ और सफा इन दीवारों को !
बड़ी धुंध हैं रोशनी में,
बड़े जाले हैं मकानों में .....
सौरभ"ॐ"
-
ये तेरा प्रेम हैं और ये मेरा प्रेम हैं ।
Facebook page -
Inst... read more
अब खेलों के मदारी भी,खेल रहे हैं!
मैंदानो और इन झूलो में...
होना क्या हैं? आगे देखो !
चित्र,सिनेमा और मेलो में ..…........
Sourabh"om"-
कलम आज,स्याही या शराब थी ?
लिखना तो लाज़मी हैं....
कुछ धूप सी खिली हुई थी !
कुछ साये से छाये थे ।।
ॐ
-
हासिल क्या ?
महरूम क्या ?
साथ जो हैं आप हमारे .........
फ़िर महफ़िल क्या ?
तन्हाई क्या ?
ॐ
-
खुदखुशी_ए_हिम्मत अब बची नही है मुझमे !
जान अब बस,दुर्घटनाओं में अटकी हैं ....
ॐ
-
है घना कोहरा बहुत,
पर तुम साफ़-साफ़ हो !
यूं तो तन्हाई से भी तन्हा हूँ मैं !
पर लगता हैं तुम आसपास हो .......
ॐ-
घटते क्रम में कटा हैं जीवन ,
अन्तर्विलाप बहुत गहरा हैं !
दिखाऊँ किसे ?
सुनू किसकी ?
हर शख़्स ही अन्धा,बेहरा हैं ......
ॐ-
छोड़ अतीत के पन्नों को ,नया अध्याय अब पढ़ना हैं !
वही व्यथा और वही कहानी,पर नयी संख्या और नयी गणना हैं ..
ॐ-
हो चुका हैं हादसा, मचा हुआ बवाल हैं !
ठहरती हैं तुम पर ही नज़रे ,जाने कैसा कमाल हैं ।
ॐ
-