sourabh pateriya   (सौरभ)
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Joined 7 August 2019


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7 MAR AT 23:49

अच्छा हुआ कि वो चेहरा ही सांवला था !
वर्ना गोरा रंग मशहूर हैं चाय,
पानदुकानों में....
कितना भी करा ले हम साफ़ और सफा इन दीवारों को !
बड़ी धुंध हैं रोशनी में,
बड़े जाले हैं मकानों में .....

सौरभ"ॐ"

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14 NOV 2024 AT 23:18

अब खेलों के मदारी भी,खेल रहे हैं!
मैंदानो और इन झूलो में...
होना क्या हैं? आगे देखो !
चित्र,सिनेमा और मेलो में ..…........

Sourabh"om"

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12 MAY 2024 AT 0:34

कलम आज,स्याही या शराब थी  ?
लिखना तो लाज़मी हैं....
कुछ धूप सी खिली हुई थी !
कुछ साये से छाये थे ।।




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21 MAR 2024 AT 23:49

तुम्हें साफ़ देखना हैं ?
तो,फिर तुम अंधेरो से दोस्ती कर लो 😊


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14 MAR 2024 AT 22:20

हासिल क्या ? 
महरूम क्या ?
साथ जो हैं आप हमारे .........
फ़िर महफ़िल क्या ? 
तन्हाई क्या ? 



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1 FEB 2024 AT 23:04

खुदखुशी_ए_हिम्मत अब बची नही है मुझमे !
जान अब बस,दुर्घटनाओं में अटकी हैं ....



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3 JAN 2024 AT 23:12

है घना कोहरा बहुत,
पर तुम साफ़-साफ़ हो !
यूं तो तन्हाई से भी तन्हा हूँ मैं !
पर लगता हैं तुम आसपास हो .......

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3 OCT 2023 AT 0:23

घटते क्रम में कटा हैं जीवन ,
अन्तर्विलाप बहुत गहरा हैं !
दिखाऊँ किसे ?
सुनू किसकी ?
हर शख़्स ही अन्धा,बेहरा हैं ......

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1 OCT 2023 AT 0:12

छोड़ अतीत के पन्नों को ,नया अध्याय अब पढ़ना हैं !
वही व्यथा और वही कहानी,पर नयी संख्या और नयी गणना हैं ..

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27 SEP 2023 AT 23:30

हो चुका हैं हादसा, मचा हुआ बवाल हैं !
ठहरती हैं तुम पर ही नज़रे ,जाने कैसा कमाल हैं ।


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