Sourabh Pandey   (नागरक)
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Joined 12 December 2018


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8 OCT 2021 AT 6:08

Yes, I was craving for my bed for my pillow,
To heave my head with the heaving billow,
But look it's 4 am already, I'm still awake,
My Eyes, burn ... My legs, shake
But the Brain rejects the idea of a break.
So a few deep whiffs, I take.
And Ponder a question "why?"
Can't lie, I know the reason ....Can't cry!
A war between the soul and the head,
Things that transpire and words unsaid,
A war between "I'm" and "I could have been".
Lovely Distractions and Sacred path of sin.
War of understandings with the group of notion,
With weapons of ideas and nukes of emotion.
These tight-lipped crusades I fight,
Every Night, I scream voicelessly... Alright.
Alright, I can do it or at least I'll try furthermore,
I'll close my eyes and count to eighty-four...
I'm counting and counting without a mistake,
But look it's 4 am already, I'm still awake.

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31 AUG 2021 AT 10:31

ये रात मेरी मैकाश ज़ुबान सी लगती है,
तेरे साथ लिखी किसी दास्तान सी लगती हैl
बिसरी यादों के बादल की बूंदें जब,
परेशान सी आंखों में भर आए...
एहसान सी लगती है, इतमिनान सी लगती है,

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17 JUL 2021 AT 21:54

जो तू देखे कभी मेरी नजरों से दुनिया,
तो अपनी सूरत दिखाऊं तेरे दर्पण में जाकर।

जो कह पाऊं कभी तुमसे बातें मेरी,
भूली बिसरी भी तुमको जुबानी सुना दूं,
सुना दूं तुम्हे अनसुने मेरे किस्से,
मेरे किस्सों में तेरी कहानी सुना दूं।

मेरे रस्ते जो गुजरें तेरे आलम से होकर,
तो ज़न्नत दिखाऊं तेरी पलकों के नीचे।

जो रह पाऊं कभी तेरे दामन में बैठा,
बैठे बैठे मैं तुमको रवानी दिखा दूं,
दिखा दूं तुम्हें मेरे हिस्से के दो पल,
मेरे हिस्सों में तेरी निशानी दिखा दूं।।

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2 JUL 2021 AT 12:21

शौकीन होकर भी बेज़ार से दिखते हैं,
ये फरेबी आजकल वफादार से दिखते हैं।

जो बचपन में थिएटर में देखने जाते थे कभी,
आजकल घरों में "समाचार" से दिखते हैं।

बटवारों के बादशाह सीना ठोकते हैं जब कभी,
वो छोटे परदे के मंझे हुए कलाकार से दिखते हैं।

सवालों पे mask है, विकास पे lockdown,
प्रशासन किसी जुमलेबाज के कारोबार से दिखते हैं।

हकीकत पे पर्दों का रिवाज़ कुछ ऐसा हो चला है,
की अब तो आईने भी दीवार से दिखते हैं।।

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9 FEB 2021 AT 11:18

Her warmth in my blanket,
And That Anklet she forgot.
Her flavour on my lips,
And riffs of her songs.
Her whiffs on my shoulder,
When the night was getting colder,
I told her..
I wanna stay here, Forever...
"With your love in my heart"
"With your smell in my shirt",
Cz I don't know...
Is this my bed or a teerth?



-Naagrak

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7 FEB 2021 AT 12:30

Baby,

That phrase in your eye,
Is Confessing ...
Yet, your lips are shy.
I Donno why...


- Naagrak

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5 FEB 2021 AT 9:30

मैं मंज़िल हूं तेरे राहिल की,
तेरे बंजारे का घर हूं मैं..
हूं दरिया मैं तेरे साहिल की,
तेरे दिल में बसा शहर हूं मैं।

गर मुश्किल तू मैं काबिल हूं,
तेरी कमियों की, मैं दर्शिल हूं..
तेरी हर धड़कन में शामिल हूं,
तेरे लिए बना, मैं वो दिल हूं।

तेरी ख्वाहिश का हासिल हूं मैं,
तेरे ख़्वाबों की परछाई हूं...
तेरी खामोशी की महफ़िल हूं,
मैं इश्क़ गली से आयी हूं।

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14 JAN 2021 AT 16:33

तेरे हर्फ ज़रा उलझे से हैं...
ये सुलझी नज़रें पढ़ने दे,
तू मंज़िल सी है दूर कहीं...
मुझे धीरे-धीरे चलने दे,

तू रस्ता इश्क़ गली का है...
मेरे कदम भी ज़रा संभलने दे,
तू बात राज़ की है शायद...
ये राज़ मुझीमे जलने दे,

तू खाब हसीं है जैसे कोई...
मेरी आंखें अब ना खुलने दे,
तू साज़ मेरे हर रंगों की...
कुछ रंग मुझे भी चढ़ने दे,
ये सुलझी नज़रें पढ़ने दे।।

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13 JAN 2021 AT 15:08

कोई काली बदली थी ज़िन्दगी,
कभी इंद्रधनुष छाया ही नहीं,
कोई रंग कभी भाया ही नहीं...
मेरे दाग भूल तेरे रंगों में अब ढलने को बेताब हूं मैं,
बेताब हूं अब तुझे मिलने को, फिर खिलने को बेताब हूं मैं।

मेरा फ़लसफ़ा ना कोई मुरशिद था,
हूं गुमशुदा, तू राहिल बन जा,
मेरी कश्ती का साहिल बन जा...
दिन रात भटकता था मैं बस, अब संभलने को बेताब हूं मैं..
वो जो राह तेरे दिल जाती हो, उसपे चलने को बेताब हूं मैं।

बेताब हूं अब तुझे मिलने को, फिर खिलने को बेताब हूं मैं।।

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12 JAN 2021 AT 18:59

कोई राही, वो जो अबतक चला नहीं है,
ये वो रात है जिसका सूरज अभी ढला नहीं है।
शमा की लपट से मदहोश है मगर...
वो जो परवाना है, वो अभी जला नहीं है।
गूंज इंकलाब की सारे मुल्क में है, पर...
कदम दो - चार ही हैं , अभी कोई काफिला नहीं है।
तेरा ज़िक्र है, और तेरी ख्वाहिश बेहिसाब है..
हुआ दीदार भी है पर अभी तू मिला नहीं है,
तेरी आंखों में हम हसीन हो गए हैं मगर...
तूने दिल में दिया अबतक दाखिला नहीं है,
मेरे खाबों सा मुलाकातों का सिलसिला नहीं है।
इश्क़ की मंजिल की तमन्ना लिए बैठा है...
..... कोई राही, वो जो अबतक चला नहीं है।।

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