वे अनंत प्रेम लिए बैठे हैं मौन में ।
एक दूजे के हैं सम्मुख और एक दूजे के नयनों ।।
अश्रु धारा और भावावेश व्यक्त हो रहे ।
बिन शब्दों के बिन अर्थों में ।।-
हम जो इस सफर में मुसाफिर तुम्हारे साथ हैं...।
Tरaveling
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एक गम इस कदर , ठहरा हुआ हम में है ।
जैसे मश्वरा कोई , खुद उलझन में है ।।
मौजें चाहो जो तो, अल्हड़ फकीरों से मिलो ।
बादशाह तो ख़ुद न जाने कितने रंजो गम में है ।।-
इन उदासियों तले ये जो हम चल रहे हैं ।
ये हम हैं जो खुद से ही न मिल रहे हैं ।
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हम ये सोच कर दुःख नहीं मनाते ,
सबके हिस्से , सब सुख नहीं आते ।
प्रेम;विरह;अश्रु;प्रतीक्षा ,नियति की गति है,
फ़िर कृष्ण भी तो, लौट कर गोकुल नहीं आते।।
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यह जो जीवन हमने देखा,
दो पग सदैव, जिसके साथ चलें हैं ।
यह केवल योग-वियोगों की कहानी,
हर प्रहर मे इसके श्रृंगार नए हैं ।।
हम नूतन पथ के अभिलाषी,
हम उत्साही, हम बैरागी ।।
ये भंवरे, तितली, फूल, बगीचे,
जिनने जग ये मोह लिया है ।
हम बस निज को सच बता बतलाएं ,
ये महल, अटारी साधन सुख के
ध्येय पथों की धूल रहे हैं ।।-
कातिल निगाहें चारो ओर बेहतर और बेशुमार हैं ।
हमको हैरत है और उसकी नेमत भी ,
अब तक हम ज़िंदा, सलामत और कमाल हैं ।।
यारों सफ़र तो आखिर सफ़र ही है ,
डर है, किसी दिन हादसा हो ही जाएगा ।
इक तरफ़ दिल निहत्थे हैं हमारे ,
उधर कातिलों के साए भी तेज़ और होशियार हैं ।।-
दर्जी ने जेब शर्ट में दिल वाले हिस्से के ऊपर बनाया है,
उसे मालूम है दिल ही है जो बोझ उठा सकता है।-
समय बता रहा है किस के कितने परदे हैं ।
हमने तो बस दो आंखों को देखा था ।।
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ये मेरी जिन्दगी का नीड़ है ।।
गढ़ा इसे मैंने स्वयं निज हस्त से ।
ये मेरा पथ अथक ,यही मेरा मीत है ।। ये मेरी....
तिनका तिनका इसका , एक पूरी कहानी।
ये शून्य गहन, संघर्ष कठिन, ये अप्रतिम जीत है।। ये मेरी....
प्रतिक्षण प्रतिपग ,कोटि दृश्य संयुत विरत ।
कभी तिमिर स्याह कभी रश्मि अथाह क्या क्या प्रतीत है ।। ये मेरी....
ये स्नेह सकल , ये प्रेम विकल , ये बंधन मुक्ताकाश है ।
ये मेरी हार ,सारा नैराश्य, ये प्रतीक्षित; प्रवाही प्रीत है ।। ये मेरी....
कुछ स्वप्न सत्य, कुछ झूठ यथार्थ अव्यक्त हैं ।
ये कर्म भू; एक कुरूक्षेत्र ,जहां सारथी कृष्ण ही अविजित है ।। ये मेरी....
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ये कश्मकश सी जिन्दगी ,
ये फैसले घड़ी भर के ।
साथ का वक्त पता ही नही ,
बिछड़ने के गम उम्र भर के ।।-