चलो अब भुल जाते हैं, तुमने यही कहा था ना,
हम मिलते रहेंगे रोज़ाना, तुमने यही कहा था ना।
अब आशिक आशिकी करना भूल चुके हैं,
इस शायर के ज़हन से सारे लफ़्ज़ धूल चुके हैं।
आज कल ख़तों का भी कोई जवाब नहीं मिलता ,
खैर मुलाकात हमारे नसीबों में नहीं है,
इस बीमारी का कोई इलाज तबीबों में नहीं है।
हम मर भी गए तो खुदा का दर है आशिकों का ठीकाना, तुमने यही कहा था ना ,
हम मिलते रहेंगे रोज़ाना, तुमने यही कहा था ना।-
wahi teri aukaat thi wahi teri aukaat rahi
वक़्त ने पकड रखा है धागा इम्तेहान का,
खैर ये वक़्त वक़्त की कहानी ही तो है।
लोगों की उम्रे गुजर गई इस इम्तेहान मैं,
ये भि गुजर जायेगी खैर जवानी ही तो है।-
कुछ यूं बिगड़ गया हाल मेरा,
उन्होंने मुझसे ही पूछ लिया सवाल मेरा ।
पूछते हैं लोग हसने खेलने की उम्र में तुम शायर कैसे बनगये,
कोई दिल में उतरे तो जाने मलाल मेरा ।
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डूबा हूं एक ऐसे कर्जे मैं
किसी से कोई उम्मीद-ए-एहसान नहीं कर पा रहा हूं
अब तो इतने ज़ख्म पड़ चुके हैं बदन पर
कौनसा ताजा है कौनसा पुराना पहचान भी नहीं कर पा रहा हूं-
एक ऐसी जुर्म जिस की कोई सजा ही नहीं
लेकिन जिसने किया वो बचा भी नहीं
आशिक उतरते रहे इश्क के कुएं मैं
जब चढ़ा पानी इश्क का तो वापिस कोई लौटा भी नहीं
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हर दर्द बयां कर सकें
इतनी लंबी ये शाम कहां है
हले-ए-दिल तुमको सुनते हम मगर
उनको बेवफा बता कर भी हमे आराम कहां है-
सारी गलतियां तू लिखले महादेव
जो मैं कर गया था
अगर दर्शन इस जनम मैं भी नहीं मिली तेरी तो याद रखना
की शिव से गुमान कर के एक शायर मर गया था-
शाम होती तो काट लेते हम
खुशियां होती तो बांट लेते हम
शुक्र है कि तू बदल गयी
वेसी ही रहती तो हाथ पकडते और फिर से डांट देते हम-
sapne bade aur unchi soch lekar chalta hoon
muskura deta hoon log dekh kar
kandho pe toote chhat ka bojh lekar chalta hoon
batuwa axar khali rehta hai
saath mai ghar ke haalaat lekar chalta hoon
zamaana nahi samjhega
main ghar ki gareebi ko apne saath lekr chalta hoon
yoon to bohot umeedein hai mann mai
saare sapno ko soola ke chalta hoon
chehra dekh ke log khusi ka andaja laga lete hain
main chehre ke jakhmo ko dil main chhupa ke chalta hoon
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mere andar ke angaar ko log raakh samaj lete hai
majburi nahi samajta koi
meri garibi ko log majak samaj lete hai-