Soumya Mishra   (Soumya Mishra✍️✍️)
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Joined 10 August 2020


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Joined 10 August 2020
27 JAN 2022 AT 11:20

मुश्किल भरी राहों से गुजर कर,
हम आहिस्ता आहिस्ता चल रहे।

दिल मे लिए उम्मीदों का चिराग,
सफर का अंधियारा मिटा रहे।

पलकों पे रखे सपनों की पोटली,
बस चलते ही जाने को कह रहे।

हर बाधाओं का सागर पार कर,
मंज़िल पाने की कोशिश कर रहे।— % &

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27 JAN 2022 AT 10:47

"सपना जितना बड़ा रहेगा
सफर उतना छोटा दिखेगा"

🌹🌹शुभप्रभात🌹🌹— % &

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26 JAN 2022 AT 18:09

तेरे जाने के बाद अपना ये हाल रहा,
इश्क़ शराब से करके मैं ख़ूब बर्बाद रहा,
कि होता भी कैसे किसी और से मुहब्बत मुझे,
जब मैं तेरी ही मुहब्बत में ता उम्र बीमार रहा...
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26 JAN 2022 AT 11:23

ये भारत भूमि हमारी है,है गणतंत्र मेरा अभिमान,
मिलता है यहीं पर विश्व का सबसे बड़ा संविधान,
मातृभूमि के चरणों में हो रहा वीरो का शक्ति प्रदर्शन,
आज तिरंगे के रंग में गर्व से नहाया हमारा हिंदुस्तान...— % &

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26 JAN 2022 AT 10:40

ये गणतंत्र भारत है, है गणतंत्र हमारी पहचान,
भारतभूमि हमारी जान,तिरंगा हमारा अभिमान,
मिटाकर जाति-पाति धर्म-द्वेष और नाम का भेद,
मैं रहूँ सदा इसकी और ये रहे सदा मेरा हिंदुस्तान...




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26 JAN 2022 AT 10:22

🇮🇳जिसने भारत माँ का सर कभी ना झुकने दिया🇮🇳
🇮🇳जिसने तिरंगे की शान को कभी ना रुकने दिया🇮🇳
🇮🇳वो मुहब्बत इस कदर अपनी सरज़मीं से कर गए🇮🇳
🇮🇳मिटाकर ख़ुदको वतन पर माँ का आँचल महका गए🇮🇳
🇮🇳मातृभूमि पर मर मिटने वाले *रावत* सदा अमर रहेंगे🇮🇳
🇮🇳और मेरे अल्फ़ाज़ ऐसे वीर सपूतों पर हरबार कुर्बान रहेंगे🇮🇳— % &

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25 JAN 2022 AT 13:59

कि जब से राधा मोहन की दीवानी हो गई।
दुनिया मे मशहूर प्रेम की कहानी हो गई।।

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25 JAN 2022 AT 11:43

उधार की मिली है ये ज़िंदगी,मिली है बस चंद सांसे यहाँ,
फिर भी बेफिक्र मस्त है इंसान,चमचमाती दुनिया में यहाँ,
सब कुछ हासिल करने की चाहत में ख़ुद को बेंचकर इंसान,
ख़ुदा की बनाई खूबसूरत दुनिया को शर्मसार कर रहा यहाँ...

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25 JAN 2022 AT 10:56

न किसी की खुशियां मैं लेती हूँ,
न अपना गम किसी को देती हूँ,
फिर भी ना जाने कैसे मग़र,
मैं हर पल मुस्कुरा लेती हूँ...

न रास्तों का कुछ पता है,
न मंज़िल का ठिकाना है,
मग़र इतना ज़रूर जानती हूँ,
कि अभी बहुत दूर जाना है...

कदम जाने कब थक जाएं,
सांसे जाने कब थम जाएं,
वक्त का भी कुछ पता नही,
मगर अंत तक चलते जाना है...

कई मुश्किलों से लड़ना है,
कुछ रिश्तों को जोड़ना है,
साज़िशों का डर है अपनों से,
मगर साथ उनके भी चलना है...

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24 JAN 2022 AT 12:46

#गणतंत्र भारत #
गणतंत्र दिवस का पर्व जब भी आता है,
भारत का कण-कण गर्वित हो जाता है।
लहराकर तिरंगा प्यारा आसमानों तक,
मातृभूमि के चरणों में शीश झुक जाता है।
गुलामी की बेड़ियों को तोड़कर कितने वीर,
हम सब को आजादी से जीना सिखा गए है।
कितने ही वतन पर करके ख़ुद को न्यौछावर,
इतिहास कर हर इक पन्ना महका गए है।
अमीरी गरीबी का भेद नही है जिसमें कोई,
बाबा साहेब से हमने ऐसा संविधान पाया है।
सबसे बड़ा संविधान जब बना भारत में,
तभी से भारत "गणतंत्र भारत" कहलाया है।

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