शक के दूरबीन से सब बेवफ़ा ही नज़र आते है
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Writer by passion
Dancer by devotion
दरवाजा मेरे दिल का जाम है, माफ करना
पूरी ज़िंदगी तुम्हें इस दिल में है अकेले गुज़ारना-
थोड़ा वक़्त अपने ख्यालों में भी बिता लिया करो
कड़वी सच से ज़्यादा कभी कभी ख्याली सुकून की ज़रूरत होती है-
अपने प्यार का इज़हार ना तब कर पाते थे, और ना अब कर पाते हैं
बस फ़र्क इतना है कि
पहले शर्म आ जाती थी और अब मजबूरियाँ याद आ जाती हैं-
जाने क्या दिये उन्हें उनकी खुशी की ख़ातिर
अपने तरह हमें भी बेवफ़ा समझ बैठे वो-
सुना था कि टूटा दिल सब सिखा जाता है
तो फिर से उसके झूठ को सच मैं कैसे मान बैठी-
मंज़िल की परवाह वो करते हैं जिन्हें ठहरना होता है
हम तो मुसाफ़िर हैं जनाब
रास्तों से दोस्ती करना फितरत है हमारी-
तुम महज़ ex नहीं,
x y z हो
पूरी alphabet हो
पूरा number system हो
पूरी वर्णमाला हो
मेरी समझ तुमसे शुरू, तुमपर ही खत्म है
बस इतना जान लो
ये आँखें उतनी ही नम रहेगी, जितनी अभी नम है-