I see 'Ordinary' in Greats...!
I see 'Greats' in Ordinary..!
मैं तो, ख़ास को भी आम समझ लेता हूँ।
मैं ही आम में भी ख़ास ढूंढ लेता हूँ।।
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जज़्बों के शहर मे एक जज़्बा मेरा भी है।
दिल मज़बूत है और हिम्मत से भरा भी है।।
करने दो कोशिशें किस्मत को भी पुरज़ोर।
चमका भी वही है अंत मे जो किस्मत से लड़ा भी है।।-
Baat ye nahi k taqleef kis ko hai.
Mudda to ye hai ki jataata kaun hai.-
ज़िंदगी के एक अजीब मझधार पे खड़ा हूँ मैं।
समझ ही नहीं आता के कहाँ हूँ मैं।।
एक दिल कहता है के बहुत आगे निकल आया हूँ।
एक दिल कहता है अभी भी बहुत पीछे कहीं हूँ मैं।।
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नाराज़गी भी रखते हैं।
पर अब मनायेगा नहीं तू।
उम्मीद तो अब भी है।
पर अब आयेगा नहीं तू।
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मेरी अलमारी में, यादों का एक गुल्लख है.
जिसमें मैं कहानियाँ और किस्से डालता हूँ.
छोटे-छोटे अनुभवों से बनी ज़िंदगी है मेरी.
रोज़ इसमे उन लम्हों के कुछ हिस्से डालता हूँ.
मेरी अलमारी में, यादों का एक गुल्लख है.
जिसमें मैं कहानियाँ और किस्से डालता हूँ.
इस गुल्लाख मे मेरी नादानियों के ज़िक्र भी हैं.
इसमें मौज-मस्ती भी हैं, इसमें मेरे फ़िक्र भी हैं.
इसमें वो बातें भी हैं, जो मैं सिर्फ़ ख़ुद से करता हूँ.
इसमें वो राज़ भी हैं, जिनके खुल जाने से मैं डरता हूँ.
इसमें मेरे यार भी हैं, इसमें मेरा परिवार भी है.
इसमें मेरा दर्द भी है, इसमें मेरा प्यार भी है.
पर सबसे ज़रूरी चीज़ जो इसमे है,
वो है वजूद मेरा... पहचान मेरी
कभी उलझ जाता हूँ जब ज़िंदगी की कश्मकश में.
एक नज़र इसकी तरफ़ मैं ज़रूर डालता हूँ.
मेरी अलमारी में, यादों का एक गुल्लख है.
जिसमें मैं कहानियाँ, और किस्से डालता हूँ.-
खयाल् मेरा भी होता है शायद ज़हन में तेरे.
ऐसे हर कदम की वजह सिर्फ़ जिंदगी नहीं हो सकती.-