दया कमजोर नहीं होती,
शौर्य प्रचंड नही होता,
प्रेम हमेशा नतमस्तक नही होता,
घृणा हमेशा हृदय नहीं सोखती।
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वो जो वहाँ पहुँच गए,उन्हें सफ़र अच्छा लगता है।
वरना सफ़र मे भी कहाँ सफ़र अच्छा लगता है।-
न जाने क्या सबब है,जो इन पौधो की बेल मुझसे लिपट रही है,
न जाने क्या सबब है,जो आसमान अब खुद की तरफ बुलाया नही करता ,
न जाने क्या सबब है,जो ख्वाहिशो को जरूरत बनना पड़ रहा है,
न जाने क्या सबब है,जो आँख सपने देखती है,पर हाथ वही के वही रहते है,
न जाने क्या सबब है,जो जीने का कोई सबब नही,
न जाने क्या वजह है,जो अब लिखने की कोई वजह नही।-
तुमने सबसे पहले ,मुझसे मुझको छीना
फिर मेरी खुद्दारी छीनी,
फिर खुद को छीना ।-
किसी की मौत लिख,टूटती कलम हुँ मै ,
जो पढ़कर भी न समझ आए ,वो किताब हुँ मैं,
जो खुलकर बरस न सकी ,वो बरसात हुँ मैं,
जो जीवन भर साहिल से बंधी रही,वो नाव हुँ मैं,
खुद का ही पुराना दर्द देता घाव हुँ मैं,
जो शायद अब कभी ना लिखी जा सके , उसी लिखावट का अंतिम परिणाम हुँ मै।-
ना रात नींद की हो सकी,
ना ख्वाब हाथ लगा ,
सब कुछ खोया,सब कुछ पाने के लिए,
ना कभी सब कुछ खोया जा सका ,
ना कभी सब कुछ पाया जा सका ।-
दो नावों मे भी क्या पैर रखना ,
या तो आग बन जा या पानी बन जा ,
या तो हिज्र बन जा या मुलाकात बन जा ,
या तो आज बन जा या तो कहानी बन जा ,
या तो पहली मुलाकात का जाम बन जा या रुखसती का सलाम बन जा ,
कर कुछ ऐसा जो तु मिसाल बन जा ।-
तुम्हारे जाने पर मैंने रोना नहीं,थोड़ा सा अधिकार मुझे भी तो है खुदगर्ज होने का ।
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