प्रेम से जो परिपूर्ण,
प्रेम से व्याप्त करें सृष्टि संपूर्ण।
कृष्ण में है जिसका वास,
कृष्ण ही है उसकी स्वास।।
धारा के विपरीत बहती है वह,
है वह जो कृष्ण के स्वर का आधार।
जिसके तन मन में श्रेष्ठ गिरधर गोपाल,
निश्छल प्रेम पुजारिन मोहन को स्वीकार।।
राधे...
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